नई दिल्ली: हिंदुओं की कम आबादी वाले देश के 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई स्थगित कर दी गई है. अब 6 सप्ताह बाद यानी मई या फिर गर्मी के अवकाश के बाद इस पर सुनवाई हो सकेगी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार हफ्ते में याचिका से जुड़े तमाम मुद्दों पर जवाब दायर करने के लिए कहा है. याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब के प्रतिउत्तर के लिए दो सप्ताह का वक़्त दिया गया है, उसके बाद मामले पर सुनवाई होगी.
इससे पहले केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा था कि हिंदुओं की कम आबादी वाले राज्यों में राज्य सरकारें भी हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकती हैं. केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि राज्य अपने नियमों के मुताबिक, संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के तौर पर मान्यता दे सकते हैं. केंद्र सरकार ने हिंदू अल्पसंख्यक मामले पर दायर किए गए अपने हलफनामे में सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि जहां हिंदू या अन्य समुदाय अल्पसंख्यक हैं, वो राज्य उन समुदायों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित कर सकते हैं, जिसके माध्यम से वो संचालित हो सकते हैं.
केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र और कर्नाटक की मिसाल देते हुए कहा कि जैसे कि महाराष्ट्र ने 2016 में यहूदियों के लिए धार्मिक और कर्नाटक ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, लमानी, हिंदी, कोंकणी, और गुजराती को भाषाई आधार पर उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है, वैसे ही अन्य राज्य भी ऐसा कर सकते हैं.
पंजाब में AAP सरकार बनते ही शुरू हुआ नया विवाद, चंडीगढ़ को लेकर केंद्र से छिड़ी लड़ाई
अब्दुल सत्तर ने शिवसेना को दिया धोखा, अपनी पार्टी को हरवाया और AIMIM के इम्तियाज़ को जिताया ?