बांग्लादेश में हिन्दुओं का नरसंहार, यहाँ क्रिकेट खेल रही टीम इंडिया, ट्रेंड हुआ #Shameless

बांग्लादेश में हिन्दुओं का नरसंहार, यहाँ क्रिकेट खेल रही टीम इंडिया, ट्रेंड हुआ #Shameless
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नई दिल्ली:  भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर भड़के हुए हैं, क्योंकि बीसीसीआई ने बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय टेस्ट और टी20 सीरीज की अनुमति दी है, जबकि बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा जारी है। यह गुस्सा रविवार (15 सितंबर) को उस समय और बढ़ गया जब भारत के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से पहले चेन्नई में बांग्लादेश की क्रिकेट टीम का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

 

नेटिजन्स ने बांग्लादेशी क्रिकेटरों को दिए जा रहे आतिथ्य पर अपनी निराशा व्यक्त की। 'मिस्टर सिन्हा' ने ट्वीट किया, "क्या हम वाकई इन बांग्लादेशी क्रिकेटरों का सम्माननीय अतिथियों की तरह स्वागत कर रहे हैं? इनमें से अधिकांश बांग्लादेश में हिंदू नरसंहार के मूक समर्थक हैं।" पत्रकार अजीत भारती ने इसे बीसीसीआई का एक नया निचला स्तर करार दिया। राधारमण दास ने भी ट्वीट किया कि बीसीसीआई ने दुनिया भर में विरोध कर रहे हिंदुओं के प्रति घोर उपेक्षा दिखाई है। 

 

उद्यमी अरुण कृष्णन ने कहा कि वह इस्लामिक देश में हिंदुओं के उत्पीड़न को देखते हुए भारत बनाम बांग्लादेश सीरीज नहीं देखेंगे। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई और क्रिकेट समुदाय को शर्म आनी चाहिए। राष्ट्रवादी ट्विटर हैंडल 'क्रिएटली' ने भी अपील की कि स्वाभिमानी हिंदू इस सीरीज के टिकट न खरीदें। कनिष्का ने भी इस पर सवाल उठाया कि भारत में एक आतंकवादी राष्ट्र "बांग्लादेश" का स्वागत करना शर्मनाक है। इस समय BCCI और टीम इंडिया के लिए सोशल मीडिया पर #Shamless ट्रेंड कर रहा है।

 

अन्य नेटिजन्स ने भी सवाल उठाया कि हिंदू क्रिकेटरों ने इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधी हुई है। उन्होंने दानिश कनेरिया के पाकिस्तान के खिलाफ बोलने की तुलना की और सवाल किया कि क्यों भारतीय क्रिकेटर इस्लामिक देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों के शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों पर हुए हमलों की जानकारी भी सामने आई है। शेखा हसीना के पद से हटाए जाने के बाद से कम से कम 205 हमले हुए हैं। खुलना में 'ईशनिंदा' के आरोप में एक हिंदू लड़के की हत्या कर दी गई, और मुस्लिम छात्रों ने हिंदू शिक्षकों और सरकारी अधिकारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। 

 

इसके अतिरिक्त, मानवाधिकार कार्यकर्ता असद नूर ने बताया है कि अल्पसंख्यक समुदाय को 'जमात-ए-इस्लामी' में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हाल ही में बांग्लादेश के चटगांव में भगवान गणेश की मूर्ति ले जा रहे हिंदू श्रद्धालुओं पर हमला हुआ।

 

इस स्थिति पर सवाल उठता है कि जब अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर पूरी टीम इंडिया घुटनों पर बैठकर विरोध कर रही थी, और गाज़ा पर भी पोस्ट डाले गए थे, तो बांग्लादेश में हिंदुओं के अत्याचार और हत्या के खिलाफ टीम इंडिया के खिलाड़ियों की चुप्पी क्यों है? क्या इसे खिलाड़ियों का दोगलापन कहा जा सकता है? या इसे भारत में बनाए गए नैरेटिव का हिस्सा माना जाए, जिसमें मुस्लिमों के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज किया जाता है, ताकि मुस्लिम विरोधी होने का ठप्पा ना लगे ? क्या यही कारण है कि लोग इस मामले पर चुप हैं? 

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