लाहौर: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में काफी समय से नए हिंदू मंदिर के निर्माण की मांग अब तेज हो चली है. यहां कई हिंदू संगठन इसके लिए मोर्चेबंदी की तैयारी में जुट गए हैं. पाकिस्तान हिंदू परिषद (Pakistan Hindu Council) के सदस्यों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजधानी में एक श्मशान और मंदिर की स्थापना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह हिंदू समुदाय की बुनियादी जरुरत है.
एक सिविल सोसाइटी कार्यकर्ता कृष्ण शर्मा और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी (PTA) के नेशनल असेंबली के सदस्य (MNA) लाल चंद मल्ही ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N) सरकार ने 2018 में हिंदुओं की आवश्यकताओं को समझते हुए श्मशान और मंदिर के लिए जमीन आवंटित की थी.
कृष्ण शर्मा ने आगे कहा कि इस्लामाबाद में तक़रीबन 3,000 हिंदू रहते थे, जो गंभीर कानून व्यवस्था की स्थिति की वजह से अपने गृह क्षेत्रों सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में पलायन कर गए हैं. उन्होंने कहा कि, "यह कोई सियासी या धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि हमारे लिए यह एक सामाजिक आवश्यकता है." उन्होंने आगे कहा कि "हम मुस्लिम भाइयों या संगठनों की चिंताओं को सुनने के लिए राजी हैं, जिन्होंने एच-9 में मंदिर के निर्माण पर आपत्ति जाहिर की है."
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