हिन्दुओं को मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा ! जानिए केंद्र के हलफनामे पर क्या बोली सुप्रीम कोर्ट ?

हिन्दुओं को मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा ! जानिए केंद्र के हलफनामे पर क्या बोली सुप्रीम कोर्ट ?
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नई दिल्ली: देश के जिन राज्यों में हिंदुओं की आबादी कम है, वहां हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने सरकार के जवाब में बदलाव पर कहा कि लगता है कि केंद्र सरकार यह तय करने में सक्षम नहीं है कि वह क्या करना चाहती है? दरअसल, 10 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मामले में याचिका पर जवाब दायर करते हुए केंद्र ने कहा था कि राज्य इस पर निर्णय ले सकते हैं. मगर, सोमवार को केंद्र ने दोबारा हलफनामा पेश करते हुए कहा कि इस मामले में सभी पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा कि, सरकार को यह स्टैंड पहले ही दिया जाना चाहिए था. केंद्र का ऐसे जवाब बदलना एक अनिश्चितता पैदा करता है. आप फैसला कीजिए कि आप क्या करना चाहते हैं? इस मामले में केंद्र की तरफ से पास ओवर मांगे जाने पर न्यायमूर्ति कौल ने टिप्पणी करते हुए मामले की सुनवाई end of the board यानी सभी मामलों की सुनवाई के बाद करना मुक़र्रर किया. सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन महीने का वक़्त दिया है. बता दें कि शीर्ष अदालत में वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है. 

इस याचिका में अशिवनी उपाध्याय ने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है. याचिकाकर्ता ने देश के कई राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने के निर्देश देने की मांग की है. उनकी यह दलील है कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, मगर उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता है. याचिका में कहा गया है कि लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में यहूदी, बहाई और हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक हैं, किन्तु वो वहां अपने शैक्षणिक संस्थान संचालित नहीं कर सकते. संविधान में दिए गए अधिकार और सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या के विपरीत ये गलत है. 

केंद्र साकार ने पहले क्या कहा था:-

इसी याचिका के जवाब में केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने हलफनामा दायर करते हुए कहा था कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय अपने शैक्षणिक संस्थान खोल सकते हैं और उन्हें संचालित कर सकते हैं. राज्य सरकारें इस संबंध में फैसला ले सकती हैं. हालांकि, केंद्र ने ये भी कहा कि अल्पसंख्यकों से संबंधित मामलों में कानून बनाने का अधिकार केवल राज्यों को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इससे संविधान और शीर्ष अदालत के फैसलों का उल्लंघन होगा.

आज केंद्र ने क्या कहा:-
 
केंद्र ने हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से अधिक मोहलत मांगी है. केंद्र सरकार ने सोमवार को इस मामले में नया हलफनामा दायर करते हुए कहा कि इस मामले में राज्य सरकारों और अन्य पक्षकारों से व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता है. क्योंकि पूरे देश में इस मामले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में बिना विस्तृत चर्चा के लिया गया फैसला जटिलता की वजह बन सकता है.

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