हिंदुत्व एक बीमारी, भगवान राम का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए..- इल्तिजा मुफ़्ती

हिंदुत्व एक बीमारी, भगवान राम का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए..- इल्तिजा मुफ़्ती
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती द्वारा हिंदुत्व और धर्म से जुड़े बयानों पर लगातार राजनीतिक बहस हो रही है। हाल ही में, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म *एक्स* पर हिंदुत्व और इस्लामोफोबिया से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय साझा की।  

इल्तिजा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि इस्लाम के बारे में फैलाई जा रही झूठी बातों और उनके पुराने ट्वीट्स को लेकर बहुत गुस्सा जाहिर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "इस्लाम के नाम पर की गई बेतुकी हिंसा ही इस्लामोफोबिया का असली कारण बनी।" इसके साथ ही उन्होंने हिंदुत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज हिंदू धर्म भी ऐसी ही स्थिति में है, जहां इसका उपयोग अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और हिंसा के लिए किया जा रहा है। उन्होंने लिखा, "सच को सच कहना चाहिए।"  

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब शिरीन खान नाम के एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कुछ नाबालिग मुस्लिम लड़कों को पीटते हुए और उनसे जबरदस्ती 'जय श्रीराम' के नारे लगवाते हुए दिखाया गया। इस वीडियो को साझा करते हुए इल्तिजा ने लिखा, "भगवान राम को शर्म से सिर झुकाना चाहिए और असहाय होकर देखना चाहिए कि कैसे मुस्लिम नाबालिगों को केवल उनके नाम का जप करने से इनकार करने पर पीटा जा रहा है।" 

उन्होंने आगे कहा, "हिंदुत्व एक बीमारी है जिसने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया है और भगवान के नाम को अपमानित किया है।" भारतीय जनता पार्टी के विधायक टी. राजा सिंह ने इल्तिजा मुफ्ती के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती की बेटी का बयान हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। टी. राजा सिंह ने कहा, "अगर हम उनके धर्म पर कोई टिप्पणी करें, तो उन्हें कैसा लगेगा?"

उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपील की कि इस बयान पर तुरंत कार्रवाई की जाए और इल्तिजा मुफ्ती को गिरफ्तार किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुई हिंसा पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी जाती।  गौरतलब है कि हाल ही में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में इल्तिजा मुफ्ती ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें दोनों ही जगह करारी हार का सामना करना पड़ा। उनके बयान को कई राजनीतिक विश्लेषक इस असफलता के बाद ध्यान आकर्षित करने की कोशिश मान रहे हैं।  यह विवाद अभी शांत नहीं हुआ है, और सोशल मीडिया पर इस पर बहस लगातार जारी है।

 

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