मुंबई: लोकसभा चुनाव को लेकर शंखनाद हो चुका है, सभी सियासी दल अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं सीटों कोई लेकर भी समीकरण बनने लगे हैं, ऐसी ही एक लोकसभा सीट है भंडार-गोंदिया लोकसभा सीट। यह सीट सबसे पहले 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इस सीट का नाम सिर्फ भंडारा था। किन्तु अब ये सीट दो जिलों भंडारा और गोंदिया में पड़ती है और दोनों ही जिलों की 3-3 विधानसभा सीट इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आती हैं।
परिसीमन के पहले तक 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की थी। चुन्नीलाल ठाकुर 1999 में और शिशुपाल पटले 2004 में यहां से निर्वाचित हुए थे। हालांकि, परिसीमन के बाद यहां 2009 में पासा पलट गया। नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रत्याशी प्रफुल्ल पटेल ने बाजी मारी और उनके प्रतिद्वंदी निर्दलीय प्रत्याशी नाना पटोले को मात दी।
दिलचस्प बात यह है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी होने के बाद भी नाना पटोले यहां दूसरे नंबर पर रहे, जबकि भाजपा के शिशुपाल तीसरे नंबर पर। नाना पटोले के इस क्षेत्र में वर्चस्व को देखते हुए अगले ही चुनाव यानी कि 2014 में भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया और वो निर्वाचित होकर संसद पहुंचे। हालांकि, पार्टी हाईकमान से मतभेद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। इस बार भाजपा ने यहाँ से सुनील बाबूराव मेढे को टिकट दिया है, अब देखना ये है कि क्या भाजपा यहाँ से जीत दोहरा पाती है या नहीं।
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