लखनऊ: उत्तर प्रदेश की हरदोई लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. उत्तर प्रदेश के हरदोई से वर्तमान सांसद अंशुल वर्मा हैं, जिन्होंने हाल ही में अपना लखनऊ में भाजपा कार्यालय के चौकीदार को अपना इस्तीफा सौंपकर, समाजवादी पार्टी को ज्वाइंन कर लिया है. वर्ष 2014 में मोदी लहर के बूते 1998 के बाद भाजपा यहां कमल खिलाने में कामयाब रही थी. हालांकि यहां की राजनीति नरेश अग्रवाल के इर्द-गिर्द घूमती है.
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उल्लेखनीय है कि हरदोई शब्द 'हरिद्रोही' से बना है. बताते हैं कि हिरण्यकश्यप ने अपने नगर का ही नाम हरि-द्रोही रख दिया था. हिरण्यकश्यप के पुत्र ने इसका विद्रोह किया. पुत्र को दण्ड देने के लिए बहिन होलिका अपने भतीजे को ले कर अग्नि में बैठ गई और अपवाद घटित हुआ. प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका जिसे आग में ना जलने का वरदान था, वो जलकर मर गई. बताया जाता है कि जिस कुण्ड में होलिका जली थी, वो स्थल आज भी हरदोई में स्थित है, जिसे प्रह्लाद कुण्ड कहा जाता है.
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साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर अंशुल वर्मा ने बसपा के शिवे प्रसाद को 81,343 वोटों से मात दी थी. इस चुनाव नें बसपा दूसरे, सपा तीसरे और कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी। भाजपा ने 1998 के बाद इस लोकसभा सीट पर वापसी करते हुए कमल खिलाया था. भाजपा के अंशुल वर्मा को 3,60,501 वोट हासिल हुए थे, बसपा के शिवप्रसाद वर्मा को 2,79,158 मत मिले थे. वहीं, सपा की उषा वर्मा को 2,76,543 वोट प्राप्त हुए थे और कांग्रेस के शिव कुमार को 23,298 मत मिले थे.
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