वह दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया में रोबोट बुजुर्गों की देखभाल करते नजर आएँगे. इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय टीम ऐसे रोबोट बनाने में जुटी हुई है. इसके लिए जापान और यूरोपीय संघ की 20 लाख पाउंड की इस परियोजना में तैयार किए जा रहे ये रोबोट सांस्कृतिक और संवेदनशील होंगे.उम्मीद है कि ये रोबोट तीन साल तैयार हो जाएंगे.
बता दें कि इस परियोजना से जुड़े जानकारों के अनुसार इंसानों जैसे दिखने और उनकी तरह के तौर-तरीके जानने वाले इन रोबोटों को पेप्पर रोबोट नाम दिया गया है. इन रोबोटों से बुजुर्गों के लिए बनाए गए केयर सेंटर्स, आवासों और आश्रमों पर दबाव कम होगा. ये बुजुर्गों को दवाएँ खाने, पानी देने और उनके रोज़मर्रा ज़रूरत के कई कामों में मदद करेंगे.
गौरतलब है कि इन रोबोटों को संवेदनशील बनाने के लिए ब्रिटेन की मिडलसेक्स यूनिवर्सिटी और बेडफोर्डशर यूनिवर्सिटी के शोधविज्ञानी सहयोग कर रहे हैं. परियोजना में शामिल प्रोफ़ेसर आइरीना पैपेडोपूलस के अनुसार यदि बुजुर्गों के लिए मदद करने वाले बुद्धिमान रोबोट तैयार किये जा सकें तो इससे केयर होमऔर अस्पतालों पर दबाव कम होगा.
पेप्पर रोबोट को सॉफ्टबैक रोबोटिक्स नामक कंपनी बना रही है. इसे जापान के हज़ारों घरों में इस्तेमाल करके देखा जा चुका है.कंपनी के मुख्य वैज्ञानिक अमित कुमार पांडे ने बताया कि कंपनी एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती है जहां इंसान और रोबोट दोनों साथ-साथ रह सकें. और सेहतमंद, सुरक्षित और खुशहाल जीवन बिताएं.