हर साल आने वाला होली का पर्व इस साल 18 मार्च को मनाया जाने वाला है। वहीं अष्टक अर्थात होलाष्टक होली के 8 दिन पहले के दिनों को कहा जाता है, जो कि अशुभ माने जाते हैं। आप सभी को बता दें कि इस बार 10 मार्च 2022 गुरुवार से 17 मार्च रात्रि तक होलाष्टक रहेगा। अब हम आपको बताते हैं होलाष्टक की प्रचलित 2 पौराणिक कथा।
होलाष्टक की प्रचलित पौराणिक कथा- हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए और दूसरी ओर देवताओं को यह मालूम था कि ब्रह्मा के वरदान के चलते तारकासुर का वध शिव का पुत्र ही कर सकता है परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। तब सभी देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग करने का जोखिम उठाया। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया। कामदेव 8 दिनों तकर हर प्रकार से शिवजी की तपस्या भंग करने में लगे रहे। अंत में शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी पर ही भस्म कर दिया था। बाद में उन्हें देवी एवं देवताओं ने तपस्या भंग करने का कारण बताया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा और पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसीलिए पुराने समय से होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर अपने सच्चे प्रेम का विजय उत्सव मनाया जाता है।
होलाष्टक की प्रचलित पौराणिक कथा- पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिन तक कठिन यातनाएं थीं। आठवें दिन वरदान प्राप्त होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहिन थी वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे। आठ दिन यातना के माने जाने के कारण इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है।
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