मथुरा : मथुरा से 50 किमी दूर कोसीकलां इलाके के फालैन गांव में एक पण्डे के जलती होली में कूदने के बावजूद सुरक्षित निकल कर आने का मामला सामने आया है.बताया जा रहा है कि इस गांव में यह परम्परा वर्षों से मनाई जा रही है.किवंदंती है कि इस गांव में सौ वर्ष पूर्व एक साधु के आशीर्वाद से इस गांव में होली में कूदने वाला कौशिक परिवार का सदस्य सुरक्षित बाहर निकल आता है. यह परम्परा इस साल भी निभाई गई.
गांव में प्रह्लाद मंदिर के बाहर 30 फीट चौड़ी होलिका सजाई गई. इसी के पास में प्रह्लाद कुंड है.मंदिर में बाबूलाल, प्रह्लाद की पूजा में कर रहे थे. वह मन में लगातार प्रह्लाद नाम जप रहे थे. रविवार रात दो बजे से लोग जुटने लगे. सुबह चार बजे तक खचाखच भीड़ हो गई. सुबह साढ़े चार बजे बाबूलाल, मंदिर से बाहर निकले. उन्होंने होलिका की पूजा की. इसके तुरंत बाद ग्रामीणों ने होलिका में आग लगा दी. आग की लपटें करीब तीस फीट ऊंची उठने लगीं.इस दौरान बाबूलाल की बहन उन्हें प्रह्लाद कुंड तक ले गई. यहां बाबूलाल ने डुबकी लगाई और दौड़ते हुए जलती हुई होलिका में कूद गए. लेकिन जब वह जलती होली से बाहर आये तो उन्हें कुछ नहीं हुआ. उन्होंने अपना पैर दिखाया और कहा कि पैर में राख की कालिख लग गई है. इसके अलावा कोई परेशानी नहीं हुई.
इस बारे में गांव में गोपालजी मंदिर के संत रामानुज दास ने बताया कि कुछ सौ साल पहले गांव में एक साधु ने कौशिक परिवार को आशीर्वाद दिया था कि अगर उनके परिवार के सदस्य शुद्ध मन से पूजा करके जलती हुई होलिका से गुजरेंगे तो उन्हें आग का असर नहीं होगा. पिछली होली में हीरालाल पंडा जलती हुई होलिका में कूदकर सही-सलामत बाहर निकल आए थे.
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