पुराने और आज के समय में फर्क है तो लोगों की पृथक सोच का. पहले के समय में लोगों के पास घर बनवाने के लिए भूखंड भी बहुत था साथ ही उनका वास्तुशास्त्र पर विश्वास भी काफी था. लेकिन आज स्थिति ठीक इससे उलट है. लोगों के पास भूखंड का अभाव है साथ ही लोगों का वास्तुशास्त्र पर विश्वास भी इतना नहीं है. ऐसे में आए दिन लोग परेशान रहते हैं. आज हम आपको घर के कुछ स्थानों की सही दशा दिशा के बारे में बताने जा रहे हैं. जिनसे आपको काफी लाभ मिलेगा.
किचन
किचन हमेशा आग्नेय कोण में होना चाहिए. आग्नेय कोण यानी कि दक्षिण पूरब दिशा.इस दिशा में अग्नि का वास होता है इसलिए इस दिशा में खाना पकाना भी काफी शुभ माना गया है.
पूजाघर या मंदिर
पूजा करने के लिए हमेशा घर का ईशान कोण ही उचित माना गया है. ईशान कोण यानी कि पूर्व-उत्तर दिशा. आपको बता दें कि उगते सूर्य की पहली किरण हमेशा इस दिशा में ही पड़ती है. जो कि मन और आर्थिक रुप से काफी सही भी होती है. यह भी ध्यान रहें कि पूजाघर के आस-पास शौचालय नहीं होना चाहिए.
बेडरूम
बेडरूम हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. बता दें कि ऐसा होना गृह स्वागमी के लिए शुभ होता है. नए शादीशुदा लोगों के लिए बेडरूम की सही दिशा उत्तूर या फिर वायव्यि कोण होना चाहिए. कुंवारी कन्याओं के लिए बेडरूम वायव्यी कोण यानी उत्तमर-पश्चिम दिशा में ही सही रहता है. साथ ही यह भी ध्यान रहे कि सोते वक्त सिर उत्तर दिशा में नहीं होना चाहिए.
बाथरूम
बाथरूम की दिशा हमेशा पूर्व की ओर ही होनी चाहिए. साथ ही यह ध्यान रहें कि बाथरूम किचन या पूजाघर के पास ना बना हो. इसके साथ ही पानी का बहाव भी पूर्व दिशा की तरफ ही होना चाहिए.
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