उद्योग मंत्री सुभाष देसाई पर लगा 20 हजार के घोटाले का आरोप, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा

उद्योग मंत्री सुभाष देसाई पर लगा 20 हजार के घोटाले का आरोप, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा
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मुंबई- महाराष्ट्र की राजनीति में आरोप प्रत्यारोप का दौर है.  विपक्ष सत्ता पक्ष के नेताओं पर आरोप लगाने में लगे हैं. विपक्ष ने करीब 20 हजार करोड़ रूपए के जमीन घोटाले का आरोप उद्योग मंत्री सुभाष देसाई पर लगाया. सुभाष देसाई शिवसेना नेता हैं. इस मामले में विपक्ष ने विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा किया. हालांकि मंत्री सुभाष देसाई ने अपने उपर लगे आरोपों को गलत बताया है. उनका कहना था कि वे हंगामे के चलते अपना पक्ष नहीं रख सके हैं। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने नियम 289 के अंतर्गत मुद्दा उठाया था.

विपक्ष के विधायकों ने दोनों ही मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की। इस मामले में धनंजय मुंडे ले कहा कि मंत्री सुभाष देसाई ने नासिक के इगतपुरी में एमआईडीसी की 12,421.77 हैक्टेयर जमीन डिनोटिफाईड कर दी. उन्होंने हवाला दिया कि जिस जमीन को किसान अभय अंबालाल नहार को लौटाने का विरोध उद्योग विभाग ने किया था. उसे दरकिनार करते हुए उन्होंने उक्त किसान का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. मंत्री सुभाष देसाई के पास 8 जून 2015 को किसान ने आवेदन किया था. वह चाहता था कि उसे वह जमीन वापस लौटा दी जाए जो कि एमआईडीसी को दी गई थी।

विपक्षी नेता मुंडे ने कहा कि यह नहार एक बिल्डर है. उसकी नहारा डेवलपर नामक एक कंस्ट्रक्शन कंपनी का निदेशक है. दरअसल इस मामले में गोंदेदुमाला गांव में किसान की जमीन डिनोटिफाइड की गई है. वास्तव में यह किसान स्वस्तिक प्रॉपर्टी के निदेशक कमलेश वाघरेचाए राजेश वाघरेचा और राजेश मेहता हैं.

हालांकि 14 फरवरी 2014 को तत्कालीन उद्योग मंत्री नारायण राणे ने एमआईडीसी की केवल वह जमीन जो अंगूर व गन्ने की खेती के लिए उपयोग में आती थी, उसे किसान को लौटाने का निर्णय लिया था मगर बाद में जब सुभाष देसाई मंत्री बने तो उन्होंने समूची जमीन को ही डिनोटिफाईड कर दिया.

मिली जानकारी के अनुसार बाजार समिति के चुनाव में किसानों के वोट निर्णायक सिद्ध होंगे. एपीएमसी के कार्यक्षेत्र में रहने वाले ओर पिछले 5 वर्षों में तीन बार बाजार समिति में कृषि माल बेचने वाले किसान को संचालक के चुनाव में मतदान करने का अधिकार होगा.

विधानसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक मंगलवार को पारित किया गया है. जिसमें कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चुनावों में किसानों को मतदान करने का अधिकार दिए जाने की बात शामिल थी. इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद अब मुंबई एपीएमसी के अलावा राज्य में अन्य एपीएमसी के चुनाव में किसान संचालक पद के लिए मतदान कर सकेंगे.

ऐसे किसान जो कि एपीएमसी एरिया में रहते हैं या फिर बीते 5 वर्षों में लगभग 3 बार उन्होंने समिति में अपनी पैदावार या कृषि उत्पादन बेचा हो वे चुनाव में भागीदारी कर सकेंगे. हालांकि अब बाजार समितियों में सरकार सदस्यों को नामित नहीं कर पाएगी.

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