जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में वोट लेने के लिए सरकारी नौकरी में स्थानीय लोगों (प्रदेश के मूल निवासियों) की भर्ती के मध्य प्रदेश सरकार के दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं। दरअसल, इसका खुलासा विधानसभा में भाजपा के ही एक विधायक के प्रश्न के उत्तर में हुआ है। सरकार के जवाब के अनुसार, जबलपुर में बीते 10 वर्षों में पुलिस भर्ती में राज्य के निवासियों की जगह दूसरे राज्य के लोगों ने बाजी मारी है। वर्ष 2020 तक के आंकड़ों को देखें तो जबलपुर जिले में 790 पुलिस आरक्षकों की भर्ती हुई, जिसमें 399 प्रदेश के बाहर के हैं। जबकि मूल निवासियों को 390 पद प्राप्त हुए।
पूर्व मंत्री एवं पाटन सीट से भाजपा MLA अजय विश्नोई ने जबलपुर में पुलिस आरक्षकों की भर्ती से जुड़े दो सवाल विधानसभा में सरकार से प्रश्न पूछा था। इसमें अजय विश्नोई का पहला सवाल था कि गृह मंत्री बताने की कृपा करेंगे कि क्या यह सच है कि वर्ष 2012 में 2020 के चलते पुलिस आरक्षकों की भर्ती में जबलपुर जिले में सामान्य श्रेणी के 743 पुरुष आरक्षकों की भर्ती हुई है। इनमें से सिर्फ 260 आरक्षक मध्य प्रदेश के हैं तथा 307 आरक्षक प्रदेश के बाहर के हैं? दूसरे प्रश्न में अजय विश्नोई ने पूछा कि क्या शासन भविष्य में यह सुनिश्चित करेगा कि आरक्षक जैसे पदों पर भर्ती में राज्य के नौजवानों को प्राथमिकता प्राप्त हो? इन दोनों प्रश्नों के लिखित जवाब गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दिए, जिसमें खुलासा हुआ कि प्रदेश के बाहर के उम्मीदवार चयन में मूल निवासियों पर भारी पड़ रहे हैं। उन्होंने आंकड़ों समेत बताया कि वर्ष 2012 में सामान्य श्रेणी के 71 उम्मीदवार चयनित हुए जिसमें 55 राज्य के और 16 दूसरे प्रदेशों के है। वर्ष 2013 में दो बार पुलिस आरक्षकों की भर्ती हुई। पहली बार 117 चयनित अभ्यर्थियों में 62 प्रदेश के बाहर से थे जबकि 55 मूल निवासियों को नौकरी मिली। इसी प्रकार दूसरी बार में 99 आरक्षकों की भर्ती की गई जिसमें मध्य प्रदेश के मूल की संख्या केवल 22 थी। बाकी 77 अभ्यर्थी अन्य प्रदेशों के थे। वहीं वर्ष 2014 और 2015 में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा नहीं हुई।
तत्पश्चात, वर्ष 2016 और 2017 में भी ऐसे ही आंकड़े सामने आए हैं। 2016 में कुल 197 पदों के विरुद्ध मूल निवासी केवल 67 चयनित हुए जबकि बाहरी प्रदेशों के 125 अभ्यर्थियों ने बाजी मारी। इसी तरह 2017 में 311 आरक्षकों की भर्ती हुए जिसमें 192 मूल निवासी एवं 119 बाहरी प्रदेशों के थे। इसी प्रकार 2018, 2019 एवं 2020 में भी पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा नहीं हुई। भविष्य में आरक्षक जैसे पदों पर भर्ती में राज्य के नौजवानों को प्राथमिकता देने संबंधी सवाल के जवाब में डॉ। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस सिलसिले में सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
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