बेटियां कुदरत का दिया हुआ खूबसूरत तोहफ़ा होती है, जो हमारे घर-आंगन को खुशियों से भर रही है। जिनकी मासूम किलकारियों से घर रोशन हो जाता है। पैदा लेती हैं तो मां-बाप का घर रोशन करती हैं और दूसरे घर जाती हैं तो पति की जिंदगी में खुशियों के फूल बिखेरने लग जाती है।
बेटियों का महत्व हर किसी के जीवन में बहुत ही ज्यादा होता है। इन्हीं बेटियों को सम्मान देने के लिए हर वर्ष सितंबर के आखिरी रविवार को डॉटर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। बेटी घर की लक्ष्मी होती है और उसके घर में कदम रखते ही हर कार्य पूरा हो जाता है और घर में खुशियां भी घर आ जाती है। इस दिन लोग बेटियों को सम्मान देते हैं और देश भर में कई कार्यक्रमों का भी आयोजन भी किया जा रहा है जिसमें बेटियों के लिए चलाई जा रही विभिन्न स्कीमों की भी सूचना दी जाती है।
इतिहास: समाज में लड़के और लड़कियों के मध्य की गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र ने की है। लड़कियों के महत्त्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित भी कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का स्वागत दुनिया भर के देशों ने कर दिया है। जिसके उपरांत से ही हर देश में बेटियों के लिए एक दिन समर्पित किया जाने लगा। इंडिया में इसे हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को सेलिब्रेट किया जाता है।
महत्व: बेटी दिवस का देश और दुनिया में बहुत महत्त्व है। पुरुष प्रधान समाज में आज भी लोगों को बेटियों की जगह बेटों की चाहत ज्यादा देखने के लिए मिलती है। अभी भी लोगों की सोच है कि भले ही वह कितनी ऊंचाइयों को छू ले, लेकिन वह बेटों की बराबरी नहीं कर पाएगी। देश में बहुत से ऐसे केस देखने सुनने को हर रोज मिलने लग जाते है। इसी मानसिकता को बदलने के लिए हर साल डॉटर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है।
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