हांगकांग की नेता कैरी लाम ने चीन सरकार द्वारा लागू किये गए सुरक्षा कानून का किया कड़ा समर्थन. वही बुधवार को औपनिवेशिक ब्रिटेन द्वारा इस अर्धस्वायत्त क्षेत्र को सौंपे जाने की 23वीं वर्षगांठ पर उन्होंने कहा कि हांगकांग की स्थिरता को बनाए रखने के लिए यह निर्णय लेना अतिआवश्यक था और समय रहते हुए यह निर्णय लेना आवश्यक है। उधर, इस बीच लोकतंत्र समर्थक राजनीतिक समूह 'द लीग ऑफ सोशल डेमोक्रेट्स' ने लाम द्वारा दिए गए भाषण से पहले एक रैली निकाली। इसमें भाग लेने वाले लोगों ने पुलिस अत्याचारों और राजनीतिक सुधार के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग कि है।
लागू किए गए सुरक्षा कानून के कुल छह अध्यायों में 66 अनुच्छेद हैं। इस कानून में पिछले साल सरकार ने विरोधी प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने संबंधी प्रावधान भी शामिल हैं। प्रदर्शन के दौरान सरकार के कार्यालयों और पुलिस थानों पर हमला किया गया, इनमे सब-वे स्टेशनों को नुकसान पहुंचाया और शहर का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बंद करना शामिल है। अलगाववादी गतिविधियों में भाग लेना इस नए काननू का उल्लंघन होगा। यह कानून ऐसे समय में पारित किया गया है जब हांगकांग की विधायिका ने जून की शुरुआत में चीन के राष्ट्रगान का अपमान करना गैरकानूनी घोषित किया था। तत्पश्चात यह कानून लागू किया गया.
वही इस कानून की वजह से लोगों में इस चीज का डर है कि इसका इस्तेमाल इस अर्धस्वायत्त क्षेत्र में विरोध की आवाजों को दबाने के लिए किया जा सकता है। उधर, अमेरिका ने हांगकांग में विवादित नए सुरक्षा कानून को लागू करने के कदम को लेकर चीन क आलोचना की। वही अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने अपने बयान में कहा कि यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए 'दुखद दिन' है और उन्होंने बीजिंग को इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। पोंपियो ने मंगलवार को कड़े शब्दों में कहा, 'हांगकांग में कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का फैसला इस क्षेत्र की स्वायत्तता को खत्म करता है। यह दुनिया में सबसे सफल इकोनॉमी और गतिशील समाजों में से एक है, लेकिन बीजिंग के अपने ही लोगों की महत्वाकांक्षाओं के डर से इस क्षेत्र की सफलता की नींव में कमजोरी आई है।
ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन ने दी धमकी, बढ़ सकता है ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनाव
भारत और चीन का विवाद बढ़ा, सबक लेने की है जरूरत
इस देश ने सुरक्षा पर 100 करोड़ डॉलर का खर्च करने का प्लान बना चीन को किया त्रस्त