नई दिल्ली: मौसम परिवर्तन का दृश्य अब प्रत्येक ऋतु में देखने को मिलता है। अधिक गर्मी, ठंड व वर्षा कि वजह से व्यक्तियों की समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कई-कई फुट पानी में डूबी दिल्ली की सड़कें, मुंबई के सैलाब में जलमग्न पटरियों पर रेंगती ट्रेनें, पानी में डूबे लंदन तथा न्यूयॉर्क के मेट्रो स्टेशन हों या सांस लेने को प्रदूषण से ग्रसित बीजिंग तथा दिल्ली जैसे महानगरों कि जनता। विश्व की झलक दिखाने अनिश्चित मौसम तथा प्राकृतिक कहर प्रत्येक देश में देखने को मिल रही है, जहां मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु वो अदृश्य संकट है जिसे कोई आंखों से तो नहीं देख सकता मगर उसकी तबाही से बचना कहीं के भी मनुष्य के लिए संभव नहीं नजर आ रहा।
वही ये संकट है जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न हो रही तबाही का। जिसका सबसे अधिक प्रभाव देश के सबसे विकसित क्षेत्रों यानी महानगरों में नजर आने लगा है, जहां उस देश की सरकारें अपने इंफ्रास्ट्रक्चर बजट का सबसे ज्यादा भाग खर्च करती हैं। मगर तबाही प्रत्येक वर्ष की बात है तथा सभी तैयारियां इस तबाही को रोकने में विफल सिद्ध होती हुई नजर आ रही हैं। कुदरती कहर से बड़े शहर हलकान हैं तो जलवायु परिवर्तन कि वजह से पिघलते ग्लेशियरों ने तटीय क्षेत्रों में तबाही बढ़ा दी है। क्लाइमेट विशेषज्ञ इस बात को लेकर चेता रहे हैं कि बढ़ते लेवल की वजह से आने वाले समय में समंदर किनारे बसे शहरों के कई क्षेत्रों डूबते चले जाएंगे।
वही मौसम में अचानक परिवर्तन या बेमौसम वर्षा तथा उससे बाढ़ जैसे हालात निरंतर देखने को मिलेंगे। हाल में 24 घंटे की वर्षा में महाराष्ट्र के पूरे चिपलून शहर को डूबे पूरी दुनिया ने देखा। ऐसी स्थिति दुनिया के तमाम देशों में तथा छोटे-बड़े शहरों में निरंतर देखने को मिलेगी। वही ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ सहित अनेक प्रदेशों में बारिश का कहर जारी है। मौसम विशेषज्ञों ने और भी तेज बारिश होने की चेतावनी दे डाली है। गुजरात में बीते दिनों हुई बारिश से 1 मंजिल तक डूब गई है तथा व्यक्तियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
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