लखनऊ: मरीजों का इलाज किए बिना उन्हें बेवजह रेफर करना तमाम सरकारी अस्पतालों की प्रवृत्ति बन गई है। आप सभी ने कभी ना कभी इस मामले में खुद को घिरा हुआ पाया होगा। आजकल तमाम अस्पताल केवल रेफरल इकाई बनकर रह गए हैं। ऐसे में नतीजा यह है कि राजधानी के एसजीपीआई, केजीएमयू, लोहिया जैसे मल्टी स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थानों में मरीजों की बेतहाशा भीड़ बढ़ गई हैं। जी हाँ और इन अस्पतालों में गंभीर मरीजों की पहले ही इतनी भीड़ है कि और मरीजों के लिए जगह ही नहीं है। हालाँकि अब उन्हें ऐसा करना महंगा पड़ने वाला है।
जी दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेवजह रेफर किए जाने की इस प्रवृत्ति पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाल ही में उनकी नाराजगी को देखते हुए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग इसे लेकर सक्रिय हो गये है। आपको बता दें कि लोगों को अपने नजदीक ही इलाज की सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए सरकार प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही स्वास्थ्य उपकेंद्रों की संख्या लगातार बढ़ा रही है। इस समय हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं, हालाँकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों से पल्ला झाड़ने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है।
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जी हाँ और यह स्थिति सिर्फ पीएचसी और सीएचसी या जिला स्तरीय अस्पतालों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह हालात मेडिकल कॉलेजों में भी हैं। बिना पर्याप्त कारण के जरा सा गंभीर होने पर मरीज को तुरंत उच्च चिकित्सा संस्थान को रेफर कर दिया जाता है। अगर मरीज को वहीं इलाज उपलब्ध हो जाए तो न सिर्फ लोगों को सुविधा रहेगी बल्कि वह तमाम जानें भी बचाई जा सकेंगी जो इधर से उधर रेफर होने के दौरान ही दम तोड़ देते हैं। हालाँकि अब सीएम योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद ऐसे अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की खैर नहीं। अब ऐसे अस्पतालों पर नजर रखी जाएगी।
अब प्राचार्यों की जिम्मेदारी तय की जा रही है और अब हर मरीज को रेफर करने का पर्याप्त कारण बताना होगा। जी हाँ, रेफर करते वक्त वह कारण भी लिखना होगा और ज्यादा रेफर करने वाले अस्पताल चिन्हित किए जाएंगे। इसी के साथ उनके खिलाफ कार्यवाही करने की तैयारी है।
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