कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आरोग्य सेतु एप को सरकार ने सबसे अहम हथियार बताया है। इसके साथ ही आरोग्य सेतु एप को पहले ही सप्ताह में चार करोड़ से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया था। वहीं आरोग्य सेतु एप एक कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एप है। कोरोना वायरस के संक्रमण को ट्रेस करने के लिए केवल भारत ही नहीं, बल्कि कई देश इस तरह के एप की मदद ले रहे हैं।एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना से जूझ रही दुनिया की 60 फीसदी आबादी इस तरह के एप का इस्तेमाल कर रही है। कई देशों में क्वारंटीन किए गए लोगों को ट्रैक करने के लिए स्मार्ट रिस्टबैंड का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सवाल यह है कि आरोग्य सेतु जैसे कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एप्स काम कैसे करते हैं? आइए समझते हैं इसे विस्तार से...
कैसे काम करते हैं कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एप्स?
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एप लोकेशन और ब्लूटूथ आधारित होते हैं। ब्लूटूथ आधारित एप्स सोशल डिस्टेंसिंग की जांच करता है, क्योंकि ब्लूटूथ की रेंज 10 मीटर तक होती है और सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए छह मीटर की दूरी निर्धारित की है, जबकि कई शोध में इसे आठ मीटर भी बताया गया है। 10 मीटर की रेंज में किसी के संपर्क में आने पर ब्लूटूथ आधारित एप लोगों को अलर्ट करते हैं। लोकेशन आधारित एप्स की बात करें तो यदि आपके फोन में ऐसे एप्स हैं और आप किसी कोरोना संक्रमित इलाके में जाते हैं तो एप आपको अलर्ट करेगा।
कैसे काम करता है आरोग्य सेतु एप?
अब बात करें भारत सरकार की आरोग्य सेतु एप की तो इस एप को भारत सरकार ने दो अप्रैल को लॉन्च किया था और 18 अप्रैल तक इसके यूजर्स की संख्या 6.5 करोड़ के पार पहुंच गई थी। यह एप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों डिवाइस के लिए उपलब्ध है। आरोग्य सेतु एप एक लोकेशन आधारित एप है। आइए आरोग्य सेतु एप की कार्यप्रणाली को एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं|
WhatsApp में आया नया अपडेट वीडियो कॉलिंग में रह सकते है इतने लोग