लखनऊ: 30 जुलाई को जाति जनगणना पर बहस लोकसभा में गरमा गई थी। चर्चा के दौरान भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने टिप्पणी की थी कि जिनकी जाति नहीं पता, वो लोग जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। इस टिप्पणी से नेता विपक्ष राहुल गांधी भड़क गए, उन्होंने आरोप लगाया कि, अनुराग ठाकुर ने मुझे गाली दी है और मेरी बेइज्जती की है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अखिलेश यादव ने नाराज़गी जताते हुए सवाल किया कि अनुराग ठाकुर किसी की जाति कैसे पूछ सकते हैं ?
जाति कैसे पूछ ली अखिलेश जी ? pic.twitter.com/uaFujlDWrD
— Anurag Thakur (@ianuragthakur) July 31, 2024
जवाब में, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की आलोचना की, और ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'कांग्रेस के मोहरा सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव जिस तरह श्री राहुल गांधी की जाति पूछने पर उखड़े, उससे वह नेता कम, बल्कि गांधी परिवार के दरबारी ज़्यादा लगे।' इस घटना ने व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों ने सवाल उठाया है कि जनता की जाति पूछने की वकालत करने वाले नेता अपनी जाति के बारे में पूछे जाने पर भड़क क्यों जाते हैं ?
पत्रकारों और मुख्यमंत्रियों की 'जाति' पूछने वाले अखिलेश जी आखिर “राहुल गांधी” की जाति क्यों छुपाना चाहते हैं?
— Sudhir Mishra ???????? (@Sudhir_mish) July 30, 2024
जातिवाद कौन फैलाया अखिलेश जी?
जाति पूछना किसने शुरू किया? pic.twitter.com/AkzJwZ0AEn
वहीं, संसद के बाहर, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एक पत्रकार की जाति पूछ ली। उन्होंने पत्रकार से पुछा, क्या तुम पिछड़े हो ? फिर उससे नाम पूछने लगे और बोले- अच्छा तुम मिश्रा हो, कुछ तो शर्म करो। पत्रकारिता करो। अखिलेश यादव के इस दोहरे व्यवहार की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हुई है, जिसमें यूजर्स ने उनके विरोधाभासी कार्यों की आलोचना की है। उनका तर्क है कि संसद में किसी की जाति पर सवाल उठाने का विरोध करने पर भी वह सदन के बाहर ऐसा करने से नहीं हिचकिचाते। इस असंगति के कारण उन पर दोहरे मापदंड और राजनीतिक अवसरवाद के आरोप लगे हैं। इस प्रकरण ने जाति जनगणना बहस के इर्द-गिर्द की जटिलताओं और संवेदनशीलताओं पर प्रकाश डाला है, जिसमें चर्चा में शामिल राजनीतिक हस्तियों के अक्सर विरोधाभासी रुख का खुलासा हुआ है।
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