खड़गे परिवार को फ्री में कैसे मिली सरकारी जमीन ? कांग्रेस सरकार से जवाब तलब

खड़गे परिवार को फ्री में कैसे मिली सरकारी जमीन ? कांग्रेस सरकार से जवाब तलब
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बैंगलोर: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर जमीन घोटालों के आरोपों ने पार्टी को चौतरफा घेर लिया है, जिससे उसे जवाब देने में मुश्किलें हो रही हैं। एक ओर, कर्नाटक राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक खरगे के ट्रस्ट को जमीन दिए जाने के मामले में जानकारी मांगी है, तो दूसरी ओर, कर्नाटक हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की पत्नी को जमीन देने के मामले में सुनवाई चल रही है। इन घटनाओं ने कांग्रेस की छवि को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, खासकर तब जब पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी लगातार राजनीति में शुचिता और ईमानदारी के दावे करते रहे हैं।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने 2 सितंबर, 2024 को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की पत्नी को जमीन दिए जाने के मामले में सुनवाई की, जिसमें एक्टिविस्टों ने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक्टिविस्टों के वकील ने कोर्ट में बताया कि नवंबर 2017 में मैसूरु विकास प्राधिकरण (MUDA) ने सिद्दारमैया की पत्नी पार्वती को वैकल्पिक जमीन देने का निर्णय लिया था, जबकि उस समय सिद्दारमैया राज्य के मुख्यमंत्री थे। आरोप है कि यह जमीन पहले मुख्यमंत्री के बहनोई द्वारा खरीदी गई थी, जिसे बाद में डी-नोटिफाई कर दिया गया और फिर इसे बहन को गिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद, इस जमीन को MUDA द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया और बदले में मुआवजा दिया गया।

इस मामले में एक्टिविस्टों ने सिद्दारमैया की भूमिका की जांच की मांग की है, और राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति दी थी। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है, जिससे यह सवाल उठता है कि अगर वे निर्दोष हैं,, तो जांच से क्यों बच रहे हैं? इसके बजाय, वे जांच का सामना करके खुद को बेकसूर साबित क्यों नहीं करते? उल्टा कांग्रेस नेता ये धमकी दे रहे हैं कि, यदि गवर्नर ने जांच के आदेश वापस नहीं लिए, तो वे बांग्लादेश जैसे हालात खड़े कर देंगे और गवर्नर को भागना पडेगा। क्या इसीलिए जनता ने कांग्रेस को चुना था कि वो लोकतंत्र से नहीं बल्कि बांग्लादेश की तरह भीड़तंत्र का सहारा लेकर काम करे ? 

दूसरी तरफ, राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार के ट्रस्ट को बेंगलुरु के औद्योगिक इलाके में जमीन दिए जाने के मामले में भी जानकारी मांगी है। यह जमीन सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को दी गई थी, जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे राहुल खरगे द्वारा संचालित है। आरोप है कि यह जमीन एयरोस्पेस कंपनियों के लिए निर्धारित थी, लेकिन इसे खरगे के ट्रस्ट को दे दिया गया। भाजपा नेता लहर सिंह सिरोया ने सवाल उठाया है कि खरगे परिवार कबसे एयरोस्पेस कंपनियां चलाने लगा?

इसके अलावा, कलबुर्गी में भी एक और जमीन आवंटन का मामला सामने आया है। लहर सिंह सिरोया ने इस मामले में भी सवाल उठाते हुए कहा है कि 19 एकड़ सरकारी जमीन को मुफ्त में खरगे परिवार के ट्रस्ट को क्यों दिया गया? इन सभी आरोपों के बीच, कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की चुप्पी सवालों के घेरे में है। राजनीति में शुचिता और ईमानदारी के दावे करने वाले ये नेता आखिरकार अपनी ही पार्टी की सरकारों पर लगे गंभीर आरोपों पर क्यों चुप हैं? क्या इन आरोपों की सच्चाई से वे वाकिफ नहीं हैं या फिर वे इन आरोपों का सामना करने से डर रहे हैं? अगर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अपने दावों में सच्चे हैं, तो उन्हें इन मामलों में खुलकर सामने आकर जवाब देना चाहिए। उनकी चुप्पी कांग्रेस की राजनीतिक नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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