श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का नाम सुनते ही आमतौर पर अलगाववाद और घाटी में बंद की अपीलें याद आती हैं, क्योंकि हुर्रियत के नेता अक्सर घाटी में बंद की घोषणाएं करते रहे हैं और मस्जिदों से इसके फरमान जारी होते रहे हैं। लेकिन अब कश्मीर में कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं, और हुर्रियत के रुख में भी बदलाव दिखाई दे रहा है। हुर्रियत के प्रमुख नेता मीरवाइज उमर फारूक ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की तारीफ की है, जो एक अहम संकेत है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ड्रग डीलर्स और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की है, जो एक अच्छा कदम है।
यह बयान एक ऐसे समय में आया है, जब जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और वहां की पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन काम कर रही है। मीरवाइज का केंद्र सरकार के तहत काम करने वाली पुलिस की तारीफ करना खास मायने रखता है, क्योंकि यह बदलाव हुर्रियत के पुरानी नीतियों से एक कदम हटकर दिखता है। मीरवाइज उमर फारूक ने नशे की लत को कश्मीर में महामारी जैसा बताया और कहा कि इसके खिलाफ सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने मस्जिदों का नेटवर्क इस्तेमाल करने की बात भी की, ताकि नशे के खिलाफ जागरूकता फैलायी जा सके और समाज में सुधार लाया जा सके।
अब सवाल यह उठता है कि कभी मस्जिदों से घाटी बंद करने के ऐलान करने वाले और अलगाववाद की आग भड़काने वाले हुर्रियत नेताओं के सुर अचानक क्यों बदल गए हैं? क्या यह कश्मीर में हो रहे बदलाव का संकेत है, जहां धीरे-धीरे अलगाववाद और आतंकवाद का प्रभाव कम हो रहा है? क्या यह बदलते कश्मीर की सुखद तस्वीर है, जहां अब प्रशासन नशे की लत और तस्करी के खिलाफ ठोस कदम उठा रहा है और लोग भी इस बदलाव का समर्थन कर रहे हैं? यह सवाल इन परिवर्तनों के संभावित कारण और कश्मीर की भविष्यवाणी पर विचार करने की ओर इशारा करता है।
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