'यासीन मलिक सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा..', तिहाड़ जेल के 4 अधिकारी निलंबित

'यासीन मलिक सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा..', तिहाड़ जेल के 4 अधिकारी निलंबित
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और आतंकी फंडिंग मामले के दोषी यासीन मलिक की अदालत में शारीरिक उपस्थिति पर चिंता जताए जाने के एक दिन बाद, तिहाड़ प्रशासक ने शनिवार को चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में एक उपाधीक्षक, दो सहायक अधीक्षक और एक हेड वार्डन शामिल हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक के अदालत में पेश होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा में "गंभीर चूक" बताया था। मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कहा कि यासीन मलिक को लाने वाले जेल अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा से समझौता किया गया था। मेहता ने लिखा था कि, "यह मेरा दृढ़ विचार है कि यह एक गंभीर सुरक्षा चूक है। यासीन मलिक जैसा आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है, बल्कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ उसके संबंध भी है, वह भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था।"

बता दें कि, इससे पहले शुक्रवार को दिन में कोर्ट ने यासीन मलिक की पेशी पर भी नाराजगी जताई थी. सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि, 'हम इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.'' तुषार मेहता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यासीन मलिक के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 268 के तहत एक आदेश पारित किया गया है, जो जेल अधिकारियों को उक्त दोषी को जेल परिसर से बाहर लाने से रोकता है।

बता दें कि, यासीन मलिक के खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक केस दर्ज हैं, जिनमें भारतीय वायुसेना अधिकारियों की हत्या का मामला सबसे चर्चित है, यह हत्या यासीन मलिक ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने से पहले टीवी पर भी कबूली थी। लेकिन, इसके बावजूद वह उस समय खुलेआम घूम रहा था, यहाँ तक कि पीएम आवास जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मिल चुका था। यासीन मलिक को 2019 में NIA द्वारा अरेस्ट किया गया और वह फिलहाल टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। बता दें कि जनवरी 1990 में, यासीन मलिक ने आतंकवादियों के एक समूह का नेतृत्व किया था, जिन्होंने श्रीनगर में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) कर्मियों पर गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप चार अधिकारियों की मौत हो गई और 20 से अधिक अन्य घायल हो गए थे।

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