साधु-संतों के सिर पर आप सभी ने तो देखे ही होंगे। वहीं उनके बालों में भारी भरकम जूड़े, एक दूसरे में फंसकर बालों की जटा बन बन जाती है, और धीरे धीरे इनकी लंबाई भी बढ़ने लग जाती है, ऐसा साधुओं का कहना होता है कि ये केवल बाल नहीं बल्कि भगवान शिव की साधना है जो संतों के संकल्प, उनके हठ को बखूबी दर्शाती है। संतों को साधना के समय अपने बालों की देखरेख विशेष प्रकार से करना होता है। इतना ही नहीं आज कई संत ऐसे भी है जिन्होंने ने अपने बालों में कई सालों से न तो साबुन और न ही शैम्पू का कोई इस्तेमाल किया है, बल्कि अपनी जटाओं को साफ़ करने के लिए वह भभूत का ही इस्तेमाल करना पसंद करते है। इस तरह से जूड़े को बनाने में लगभग डेढ़ घंटे का वक़्त लग जाता है। कुछ खबरों में तो ये भी कहा जाता है कि महाकुंभ नगर में तप साधना करने वाले कई अलग अलग संप्रदाय के संत-संन्यासियों की भीड़ होने लग जाती है। इनमें शैव संप्रदाय के संतों में ज्यादातर के सिर पर जटा-जूड़े ही देखने के लिए मिलते है। इसके अलावा कई संन्यासी ऐसे हैं जिनके बाल की लंबाई उनके शरीर की लंबाई के कई गुना ज्यादा होती है। कुछ संत तो ऐसे भी है, जिन्होंने अपने बालों को 15 वर्ष या उससे भी अधिक समय से नहीं कटवाया है।
कुछ वक़्त पहले कोलकाता के गुरु बालक ब्रह्मचारी आश्रम से आईं लक्ष्मी मंडल के बालों को देख लोगों को बहुत ही ज्यादा हैरानी हुई है। इतना ही नहीं मसान साधना करने वाली लक्ष्मी मंडल का इस बारें में कहना है कि वह मां काली और कैलाशपति भगवान भोलेनाथ को बहुत ही ज्यादा मानती है। बाल के संबंध के जानकारी दी है कि माथे की तरफ शैंपू लगाकर बस धो लेते है। साधना बाबा महाकाल, शिव की जटाएं खुली हुई हैं, इसलिए बतौर साधक अपने बाल में कभी जूड़ा बांधना पसंद नहीं।
भभूत से करते है स्नान: खबरों का कहना है कि शिवपुरी रोड जूंडला गेट करनाल (हरियाणा) से आए श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के थानापति प्रह्लाद गिरि ने अपने बाल 7 वर्षों से नहीं कटवाए। उनका इस बारें में कहना है कि जटा तो साधु का श्रृंगार होता है। शिव की साधना करते हैं तो उन्हें किसी भी बात की कोई फ़िक्र नहीं होती और वह साधना में इस कदर लीन हो जाते है कि सब कुछ भूल जाते है। उन्हें तो इतना भी याद नहीं रहता कि उनके बाल और दाढ़ी बढ़ रहे है। बालों की देखरेख वाले सवाल पर बोला है कि समय-समय पर इनकी सफाई भभूत के सतह करते है। बाल को साफ करने में उन्हें लगभग 2 से 3 घंटे का समय आराम से लग जाता है। जब से संकल्प लिया तब से ही उन्होंने अपने बालों में किसी भी प्रकार का कोई साबुन या शैम्पू नहीं लगाया है। हालांकि बीमारी की स्थिति में चिकित्सक के परामर्श के मुताबिक साधु अपने बाल कटवा भी सकते हैं। साधना में इससे खलल नहीं पड़ने वाला।