चाइल्ड आर्टिस्ट से कैसे साउथ की बड़ी हीरोइन बनीं हंसिका मोटवानी

चाइल्ड आर्टिस्ट से कैसे साउथ की बड़ी हीरोइन बनीं हंसिका मोटवानी
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हंसिका मोटवानी, जिन्हें पहले एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में टीवी सीरियल्स में पहचान मिली थी, आज साउथ फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर हीरोइन हैं। 9 अगस्त 1991 को मुंबई के एक सिंधी परिवार में जन्मीं हंसिका का सफर वाकई दिलचस्प है।

हंसिका के पिता, प्रदीप मोटवानी एक बिजनेसमैन हैं और उनकी मां, मोना मोटवानी, एक डर्मेटोलॉजिस्ट हैं। हंसिका की शिक्षा मुंबई के सांताक्रूज स्थित पोडर इंटरनेशनल स्कूल में हुई, जहां टीवी और फिल्म जगत के कई पॉपुलर सेलिब्रिटीज के बच्चे भी पढ़े हैं।

शाका लाका बूम बूम से की करियर की शुरुआत

हंसिका ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 2000 में पॉपुलर टीवी शो 'शाका लाका बूम बूम' से की थी। इस शो में उनकी एक्टिंग ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने एकता कपूर के हिट शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में भी अहम भूमिका निभाई, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई।

'कोई मिल गया' में नजर आईं

2003 में हंसिका ने ऋतिक रोशन और प्रीति जिंटा स्टारर फिल्म 'कोई मिल गया' में भी चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम किया। इस फिल्म में भी उनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया।

हिमेश रेशमिया के साथ किया बॉलीवुड डेब्यू

2007 में हंसिका ने बॉलीवुड में डेब्यू किया और हिमेश रेशमिया की फिल्म 'आपका सुरूर' में लीड एक्ट्रेस के रूप में नजर आईं। इस फिल्म में हंसिका को देखकर फैंस हैरान रह गए, क्योंकि चाइल्ड आर्टिस्ट से अचानक वह एक पूरी तरह से ग्रो हुई हीरोइन बन गई थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स और विवाद

हंसिका के अचानक से बड़े हो जाने को लेकर मीडिया में कई रिपोर्ट्स आईं, जिनमें कहा गया कि उनकी मां ने उन्हें हार्मोन इंजेक्शन दिए थे। हालांकि, बाद में इन खबरों का खंडन किया गया और यह विवाद धीरे-धीरे शांत हो गया।

साउथ फिल्मों में चमकी किस्मत

हंसिका ने 2011 में अपनी पहली तमिल फिल्म 'मप्पिल्लाई' से साउथ फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इसके बाद उनकी फिल्म 'एन्जेयुम कड्हल वेलायुधम' आई, जिसने उन्हें तमिल सिनेमा में बड़ी पहचान दिलाई। हंसिका ने हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है। आज, हंसिका मोटवानी अपने 33वें जन्मदिन के मौके पर साउथ फिल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी स्टार के रूप में जानी जाती हैं। उनका सफर बताता है कि अगर मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

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