नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को सरकारी कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकारों के वित्तीय संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह योजना पेंशनभोगियों के लिए एक मजबूत सुरक्षा तंत्र प्रदान करती है और सहकारी संघवाद को भी प्रोत्साहित करती है, जिसे मोदी सरकार हमेशा से समर्थन देती रही है।
UPS के तहत, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवा के अंतिम 12 महीनों में उनके औसत मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता है। इससे पेंशनभोगियों को वित्तीय स्थिरता मिलती है, और यह व्यवस्था पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किए गए पेंशन सुधार के मूल सिद्धांतों से मेल खाती है, जिसमें पेंशन की अंशदायी और वित्तपोषित प्रकृति को बनाए रखा गया है। UPS में, कर्मचारियों और सरकार दोनों को पेंशन फंड में योगदान करना होता है, जिससे यह योजना दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बनती है और कर्मचारियों के लाभों को राजकोषीय जिम्मेदारी के साथ संतुलित किया जाता है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) की तुलना में, UPS एक स्थिर और आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण विकल्प है। OPS के चलते राज्य सरकारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा, और गैर-एनडीए शासित राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश द्वारा इसे फिर से लागू करने की आलोचना की गई। जबकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चेतावनी दी कि OPS की राजकोषीय लागत बहुत अधिक होगी, जिससे पेंशन देनदारियों में चार गुना वृद्धि हो सकती है।
वहीं, UPS एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करता है जो सरकारी कर्मचारियों की चिंताओं का समाधान करता है और राज्य और केंद्र सरकारों के लिए महत्वपूर्ण पूंजी निवेश के लिए आवश्यक वित्तीय स्थान बनाए रखता है। सरकार का मूल वेतन में योगदान बढ़ाकर 18.5% करने और कर्मचारियों के योगदान को 10% पर बनाए रखने का निर्णय UPS को और भी मजबूत बनाता है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भविष्य अधिक सुरक्षित हो जाता है। इसके अलावा, UPS राज्यों को एक स्थायी पेंशन मॉडल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे सहकारी संघवाद को और बल मिलता है। इस योजना को अपनाने वाले राज्य अपनी वित्तीय स्थिरता को बरकरार रखते हुए बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में निवेश जारी रख सकते हैं। मोदी सरकार की पारदर्शिता और राजकोषीय विवेक पर जोर, जिसमें ऑफ-बजट उधारी पर नियंत्रण के उपाय शामिल हैं, सहकारी संघवाद की नींव को और सुदृढ़ करता है।
संक्षेप में कहें तो कि, UPS मोदी सरकार की सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह केवल एक पेंशन सुधार नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की एक व्यापक रणनीति है कि भारत के राज्यों और नागरिकों के पास समृद्ध भविष्य के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन हों। UPS इस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित किया जा सकेगा और देश का वित्तीय स्वास्थ्य मजबूत बना रहेगा।
जिन्दा जल गई, पर अंग्रेज़ों के सामने झुकी नहीं, नाना साहेब की बेटी मैना
बंगाल में एंटी-रेप बिल पास, क्या बलात्कारियों को 10 दिन में फांसी दिलवा पाएंगी ममता?
बड़े भाई ने किया रेप, छोटा बदलवाने लगा पीड़िता का बयान, सपा नेता के कारनामे