कैसे लगता है पितृ दोष? जानिए इसके लक्षण और इससे मुक्ति के उपाय

कैसे लगता है पितृ दोष? जानिए इसके लक्षण और इससे मुक्ति के उपाय
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पितरों को देव माना जाता है, और उनकी पूजा करके हम उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पितरों की दया पाने के लिए तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म किए जाते हैं। यदि ये कर्म सही तरीके से नहीं किए जाएं, तो परिवार पितृ दोष से ग्रसित हो सकता है। पितृ दोष से परिवार के दिवंगत पूर्वज जीवित सदस्यों को कष्ट पहुंचाते हैं, जिससे परिवार में अशांति और समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए पितरों का तर्पण अत्यंत आवश्यक है।

पितृ दोष के कारण
पितृ दोष मुख्य रूप से पूर्वजों के तर्पण की कमी के कारण उत्पन्न होता है। आत्मा अमर होती है, और उसकी शांति के लिए पुण्यतिथि या श्राद्ध के समय तर्पण किया जाता है। आदर्श रूप से हर दिन तर्पण करना चाहिए, लेकिन श्राद्ध पक्ष में यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यदि किसी कारणवश तर्पण न किया जाए, तो पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है। जातक की कुंडली में सूर्य, राहु और शनि की स्थिति भी इस दोष का कारण हो सकती है।

पितृ दोष के लक्षण
परिवार की तरक्की में रुकावट: पितृ दोष के कारण परिवार की प्रगति रुक जाती है और घर में हमेशा क्लेश बना रहता है।
विवाह और संतान से संबंधित समस्याएं: विवाह और संतान प्राप्ति में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
सामाजिक मान-सम्मान की कमी: परिवार के सदस्यों पर कलंक लगने का डर रहता है और समाज में सम्मान की कमी होती है।
बुरे आचरण वाले बच्चे: बच्चे बुरे आचरण के शिकार हो सकते हैं।
कामों में विफलता: पूर्व में किए गए काम विफल हो सकते हैं।
व्यापार में असफलता: व्यापार में सफलता की कमी होती है और परिवार में क्रोध और द्वेष बना रहता है।

पितृ दोष निवारण के उपाय
श्राद्ध और तर्पण: पितृ पक्ष की अमावस्या पर श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। यह शास्त्रों में वर्णित विधि है जो परिवार में सुख और समृद्धि लाती है। इस दिन व्रत भी रखा जा सकता है।
कुंडली का विश्लेषण: यदि कुंडली में सूर्य, राहु, और शनि की स्थिति दोषपूर्ण हो, तो इसे सुधारने के लिए ज्योतिषाचार्य से सलाह लें।
भोजन का समय: तर्पण सुबह करना चाहिए, और ब्राह्मणों को दोपहर में भोजन कराना चाहिए। शाम को भोजन नहीं कराना चाहिए।
स्थान का चयन: तर्पण किसी अन्य की जमीन पर नहीं करना चाहिए। यदि अपना घर नहीं है, तो मंदिर, तीर्थ स्थल, या नदी के किनारे तर्पण करें।
विशेष ध्यान: तर्पण के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए और केवल सात्विक भोजन करना चाहिए।

तर्पण के लाभ
रुकावटों का नाश: तर्पण से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
समाज में मान-सम्मान: पितृ देवताओं के आशीर्वाद से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
समस्याओं का समाधान: नौकरी, व्यापार, वैवाहिक जीवन, और संतान से संबंधित समस्याएं हल होती हैं।
पारिवारिक सुख और समृद्धि: पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।
इस प्रकार, पितृ दोष से बचने और अपने परिवार की भलाई के लिए तर्पण और श्राद्ध का नियमित पालन करना आवश्यक है।

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