जिस PFI पर आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिबंध, उसके खिलाफ लिखना मानहानि कैसे?- केरला हाईकोर्ट

जिस PFI पर आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिबंध, उसके खिलाफ लिखना मानहानि कैसे?- केरला हाईकोर्ट
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कोच्ची: केरल हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ लिखे गए लेख को लेकर शुरू की गई आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि PFI जैसे प्रतिबंधित संगठन के पास कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है, इसलिए वह मानहानि का दावा नहीं कर सकता। 

मामला PFI के महासचिव मोहम्मद बशीर की शिकायत से जुड़ा था। बशीर ने आरोप लगाया था कि भारत प्रकाशन (दिल्ली) लिमिटेड ने एक लेख में PFI को प्रतिबंधित संगठन सिमी का नया अवतार और लव जिहाद को बढ़ावा देने वाला बताया है। लेख में यह भी लिखा गया कि PFI 2008 में जम्मू-कश्मीर में आतंकी भर्ती, बैंगलोर सीरियल ब्लास्ट और प्रोफेसर टीजे जोसेफ की हाथ काटने जैसी घटनाओं में शामिल रहा है। बशीर ने इन आरोपों को लेकर मानहानि का मामला दर्ज कराया था। 

कोर्ट ने कहा कि 27 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने PFI और उससे जुड़े संगठनों जैसे रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल आदि को गैरकानूनी संघ घोषित कर दिया था, क्योंकि ये आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए गए थे। ऐसे में, IPC की धारा 499 और 500 के तहत PFI के खिलाफ मानहानि का मामला नहीं चल सकता, क्योंकि प्रतिबंधित संगठन का कोई वैध कानूनी अस्तित्व नहीं होता। 

सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि लेख में लगाए गए आरोप सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं। कोर्ट ने मानहानि की शिकायत और उससे जुड़ी सभी कार्यवाहियों को रद्द कर दिया। 

यह वही संगठन है, जिसका नाम कई दंगों और विवादित गतिविधियों में जुड़ चुका है। PFI भारत को 2047 तक इस्लामी राष्ट्र बनाने के मिशन पर काम कर रहा है, इस साजिश के दस्तावेज़ बिहार पुलिस ने बरामद किए थे, जब उन्होंने फुलवारी शरीफ में PFI के ठिकानों पर रेड मारी थी। ऐसे संगठन के खिलाफ प्रकाशित लेख को मानहानि मानना सही नहीं है। पुलिस ने इस मामले में केस तो दर्ज किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे निराधार पाया और खारिज कर दिया।

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