लग्न कुंडली में कई तरह के शुभ योग बनते हैं। इन्हीं में से एक है- धन योग। जिस व्यक्ति की लग्न कुंडली में धन योग बनता है उसे जीवन में धन, संपत्ति, समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है। उसे जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है। कुंडली में धन योग ग्रहों की युति अथवा उनकी विशेष परिस्थितियों के कारण ही बनता है। आइए जानते है कैसे बनता है लग्न कुंडली में धन योग। मेष लग्न की कुंडली में सूर्य, मंगल, गुरु व शुक्र नवम भाव में हो और शनि कुंडली में सातवें घर में बैठा हो तो धन योग बनता है। इसके अलावा वृष लग्न की कुंडली में बुध और बृहस्पति एक ही भाव में बैठे हों और मंगल ग्रह की दृष्टि दोनों पर पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में कुंडली में धन योग बनता है।
मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्र, मंगल और शुक्र ये तीनों ग्रह कुंडली के धन भाव यानि दूसरे घर में बैठे हों तो कुंडली में धन योग निर्मित होता है। इसके साथ चंद्र, मंगल और गुरु दूसरे भाव में हों, शुक्र और सूर्य का स्थान पंचम हो तो इस स्थिति में कर्क लग्न की कुंडली में धन योग का निर्माण होता है। अगर सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य, बुध और गुरु ये तीनों एक ही भाव में बैठे हों तो कुंडली में धन योग निर्मित होता है। कन्या लग्न की कुंडली में धन और वैभव का कारक शुक्र व केतु ग्रह कुंडली के दूसरे भाव में बैठे हों तो इस स्थिति में धन योग का निर्माण होता है।
तुला लग्न की कुंडली यदि कर्मफलदाता शनि चौथे भाव में हो तो इस स्थिति में धन योग बनता है। वृश्चिक लग्न की कुंडली में बुध और गुरु एक साथ बैठे हों अथवा दोनों ही एक दूसरे पर सप्तम दृष्टि रखते हों तो ऐसी स्थिति में धन योग निर्मित होता है। धनु लग्न की कुंडली में दशम भाव में बैठा शुक्र धन का निर्माण करता है। मकर लग्न की कुंडली में चंद्रमा और मंगल दोनों ही केन्द्र भाव में स्थित हो तो ऐसी स्थिति में धन का निर्माण होता है। कुंभ लग्न के दशम भाव में चंद्र और मंगल की युति व्यक्ति को धनवान बनाती है। हालाँकि मीन लग्न की कुंडली में दूसरे भाव में चंद्रमा और पांचवें भाव में मंगल बैठा हो तो अच्छे धन लाभ का योग होता है।
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