श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में 15 जुलाई को हुए आतंकी हमले में चार जवानों की दुखद मौत के बाद, कास्तीगढ़ इलाके के जद्दन बाटा गांव में एक और हमला हुआ। 18 जुलाई 2024 को हुए इस हालिया हमले में सेना के दो जवान घायल हो गए, जिनका फिलहाल इलाज चल रहा है। अधिकारियों का मानना है कि इस ताजा हमले के अपराधी पिछले हमले के जिम्मेदार वही आतंकी हैं।
इसके जवाब में सेना ने तलाशी अभियान शुरू किया है और डोडा पुलिस ने आतंकियों को पनाह और मदद देने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) के नेटवर्क को खत्म करने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। 17 जून को डोडा पुलिस ने जून और जुलाई में हुए हमलों के बाद OGW नेटवर्क के खिलाफ अपनी बढ़ी हुई कार्रवाई की घोषणा की। गिरफ्तार किए गए लोगों में शौकत अली भी शामिल है, जो हाल के हमलों में शामिल आतंकियों को पनाह देने का आरोपी OGW है। उसने आतंकियों को पाकिस्तान में अपने आकाओं से संवाद करने के लिए खाना, पीना और WiFi की सुविधा मुहैया कराई थी। शौकत अली अभी हिरासत में है और उससे पूछताछ की जा रही है। बता दें कि, यह पहली बार नहीं है जब किसी OGW को पकड़ा गया है; जून में, SDPO गंडोह के नेतृत्व में एक जांच के बाद, मुबाशिर हुसैन, सफदर अली और सज्जाद अहमद को 18 और 20 जून को न्यायिक हिरासत में रखा गया था। इसके बाद, 26 जून, 2024 को गंडोह पुलिस स्टेशन में एक और FIR (संख्या 70/2024) दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप 14 जुलाई, 2024 को शौकत अली की गिरफ्तारी हुई।
इससे पहले एक और कश्मीरी हाकम दीन पकड़ा गया था, जिसने रियासी आतंकी हमले को अंजाम देने में जिहादियों की मदद की थी। इस हमले में महिलाओं-बच्चों सहित 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जो माता वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए जा रहे थे। हाकम दीन ने आतंकियों को खाना-पानी और अपने घर में पनाह दी थी। ऐसे में एक बेहद गंभीर सवाल ये उठता है कि, यदि इस तरह स्थानीय कश्मीरी अपने घरों में आतंकियों को पनाह देंगे, उनकी मदद करेंगे, तो फिर सेना के लिए भी उनसे निपटना बेहद मुश्किल हो जाएगा। ये आतंकी हमला करके, किसी भी घर में जाकर छिप जाते हैं और अगर स्थानीय लोग भी उसकी जानकारी सेना-पुलिस को देने की बजाए, अगर उन्हें अपने घर में छिपा लेंगे, तो आतंकियों का खात्मा कैसे होगा ? सेना कैसे पता लगाए कि कश्मीर में कौन आतंकी है और कौन नहीं ?
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