ज्योतिष विज्ञान व्यक्ति के विषय में बहुत सी जानकारी प्रदान करता है. जिससे व्यक्ति को उसके भविष्य में घटने वाली महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी प्राप्त होती है विवाह भी ऐसा ही एक कार्य है जो सभी व्यक्ति के लिए आवश्यक है, किन्तु कई लोग अपनी वासना की पूर्ती के लिए एक से अधिक विवाह भी कर लेते है जो आज के समय में हिन्दू धर्म में विधि के विरुद्ध है. इसी विषय में ज्योतिष शास्त्र व्यक्ति की कुंडली के आधार पर व्यक्ति के विवाह पर प्रकाश डालता है, व्यक्ति की कुंडली देखकर इस बात का आसानी से पता लगाया जा सकता है की वह व्यक्ति कितने विवाह करेगा? आइये जानते है किस प्रकार के योग व्यक्ति के जीवन में एक से अधिक विवाह के लिए उत्तरदायी होते है.
1. व्यक्ति की कुंडली का सप्तम भाव उसके जीवन में उसकी पत्नी से सम्बंधित होता है. यदि किसी व्यक्ति के सप्तम भाव में ब्रहस्पति और बुध एक साथ होते है तो उसे एक पत्नी का योग होता है और सप्तम भाव में मंगल व सूर्य होते है तो यह भी एक ही पत्नी योग का निर्माण करते है.
2. जब व्यक्ति के लग्न का स्वामी और उसके सप्तम भाव का स्वामी दोनों कुंडली के प्रथम भाव या सप्तम भाव में स्थित होते है तो उस व्यक्ति को दो पत्नी योग होता है.
3. जब व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव का स्वामी किसी अन्य ग्रह मंगल, राहू, केतु, शनि अपने छठे, आठवें या 12 वें भाव में होते है तो उस व्यक्ति के जीवन में अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के पश्चात दूसरी पत्नी का योग होता है.
4. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तम या अष्टम भाव में कोई पापग्रह शनि, राहु, केतु, व सूर्य होता है तथा 12 वें भाव में मंगल होता है तो उस व्यक्ति के जीवन में दो विवाह का योग होता है.
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