इंसान मरने के बाद किस गति में जाता है यह उसके कर्म पर निर्धारित होता है. ऐसे में मरने के बाद आत्मा की तीन तरह की गतियां होती हैं- 1. उर्ध्व गति, 2. स्थिर गति और 3. अधोगति. इसे ही अगति और गति में विभाजित किया गया है.
1. अगति : अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है और उस व्यक्ति को फिर से जन्म लेना पड़ता है. अगति के चार प्रकार है- 1.क्षिणोदर्क, 2.भूमोदर्क, 3. अगति और 4.दुर्गति.
*क्षिणोदर्क : क्षिणोदर्क अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्यु लोक में आता है और संतों सा जीवन जीता है.
*भूमोदर्क : भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन पाता है.
*अगति : अगति में नीच या पशु जीवन में चला जाता है.
*दुर्गति : गति में वह कीट, कीड़ों जैसा जीवन पाता है.
2. गति : गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है और गति के अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं: 1.ब्रह्मलोक, 2.देवलोक, 3.पितृलोक और 4.नर्कलोक. इसी के साथ जीव अपने कर्मों के अनुसार उक्त लोकों में जाता है.
*ब्रह्मलोक : यहां वही व्यक्ति पहुंचता है जिसने योग और ध्यान करके मोक्ष प्राप्त किया है.
*देवलोक : यहां पर पुण्यात्मा ही पहुंचती है. कुछ काल रहने के बाद उसे पुन: मनुष्य योनि में जन्म लेना होता है.
*पितृलोक : यहां पर भी पुण्यात्मा ही पहुंचती है जहां वह अपने पितरों के साथ सुखपूर्वक समय बिताकर पुन: जन्म लेती है.
*नर्कलोक : यहां पर पानी या दुष्कर्मी आत्माएं ही पहुंचती है. वे भी यहां कुछ काल रहने के बाद पुन: किसी भी योनि में जन्म ले लेती है.
इसी के साथ पुराणों के अनुसार आत्मा तीन मार्ग के द्वारा उर्ध्व (उर्ध्व गति) या अधोलोक (अधोगति) की यात्रा करती है और ये तीन मार्ग है- 1.अर्चि मार्ग, 2.धूम मार्ग और 3.उत्पत्ति-विनाश मार्ग.
*अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक : अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए है.
*धूममार्ग पितृलोक : धूममार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए है.
*उत्पत्ति-विनाश मार्ग : उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है. यह यात्रा बुरे सपनों की तरह होती है.
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