लड़ाकू विमान राफेल भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुके है. वही इस पर डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुआयामी समर्थ वाले राफेल जेट विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की क्षमता में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. विशेष तौर पर तब जब पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से भारत निरंतर हमले और खतरों का सामना कर रहा है. 4.5 पीढ़ी के इस युद्धक विमानों का भारत को मिलने का यह वक़्त बेहद अहम है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के लिए राफेल गेमचेंजर सिद्ध हो सकता है.
यदि एक्सपर्ट्स की मानें तो 36 जेट विमानों के भारतीय वायुसेना में सम्मिलित होने के पश्चात् कोई भी पड़ोसी देश भारत की युद्धक क्षमता का मुकाबला नहीं कर सकेगा. राफेल की अपेक्षा अमेरिकी युद्धक विमान एफ-35 और एफ-22 से की जाती है. राफेल सभी प्रकार के युद्धक अभियानों के लिए उचित है. इससे ना सिर्फ वायु रक्षा के इलाके में भारत को वरिष्ठता प्राप्त होगी, बल्कि सुदूर हवाई हमलों में जमीन को टच करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. युद्धपोत पर हमले से लेकर परमाणु हमले के लिए भी उचित है.
फ्रांस का यह युद्धक विमान अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और बीते वर्ष सीरिया में अपनी बेजोड़ युद्धक समर्थताओं को सिद्ध कर चुका है. फ्रांस की रक्षा कंपनी दसॉल्ट के बनाए राफेल विमान को फ्रांस की नौसेना में साल 2004 में सम्मिलित किया गया था. जबकि फ्रांस की वायुसेना में इसे साल 2006 में सम्मिलित किया गया था. इस रक्षा कंपनी का कहना है कि राफेल ने अब तक 30 हजार से अधिक फ्लाइट आवर्स किए हैं. वही अब लड़ाकू विमान राफेल के वायुसेना में शामिल होने से भारत को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई है.
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