वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर या ऑफिस में पॉजिटिविटी बनाए रखने और खुशहाली का माहौल कायम रखने के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना जरूरी है। ये नियम पूजाघर, बेडरूम, ड्राइंग रूम, टॉयलेट और बाथरूम सहित विभिन्न स्थानों के लिए निर्धारित हैं। इनका पालन करने से तरक्की की राह में बाधाएं कम होती हैं और जीवन सुखमय रहता है। अगर आपके बच्चों की पढ़ाई में मन नहीं लग रहा या करियर में अड़चनें आ रही हैं, तो स्टडी रूम से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स लाभकारी हो सकते हैं। यहां स्टडी रूम के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स दिए गए हैं:
पढ़ाई की दिशा:
पढ़ते समय बच्चों का मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
पूजा और स्थान:
स्टडी रूम में ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में सरस्वती मां या अपने इष्ट देवी-देवता की प्रतिमा स्थापित कर नियमित पूजा करनी चाहिए।
चित्र:
स्टडी रूम में वैज्ञानिकों, महापुरुषों या विद्वानों की तस्वीरें लगाना अच्छा माना जाता है।
किताबों की दिशा:
किताबों को उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा में न रखें।
हवा और प्रकाश:
स्टडी रूम में उचित वायु प्रवाह और प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए।
किताबों की सुरक्षा:
किताबों को गीले फर्श पर न रखें, क्योंकि इससे किताबों में दीमक लग सकता है।
फोकस और दिशा:
यदि पढ़ाई में एकाग्रता की कमी हो रही है, तो पश्चिम दिशा में कुर्सी और टेबल रखकर पूर्व की ओर मुख करके पढ़ाई करें।
रंग:
स्टडी रूम का रंग हल्का नीला होना चाहिए, जो पढ़ाई में एकाग्रता बनाए रखता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। हल्का हरा और क्रीम रंग भी शुभ माने जाते हैं।
इन टिप्स का पालन करके स्टडी रूम को वास्तु के अनुसार व्यवस्थित करने से बच्चों की पढ़ाई में सुधार और करियर में प्रगति हो सकती है।
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