आज एक के बाद एक बड़े से बड़े मामले सामने आ रहे है जिसमे से ऐसा ही एक मामला है, व्हाट्स एप का जिसके द्वारा भारत समेत दुनियाभर के 1,400 पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जासूसी को लेकर कोहराम मचा हुआ. वही व्हाट्सएप के कहना है कि इजरायस की एनएसओ नाम की कंपनी ने अपने पिगासस सॉफ्टवेयर (स्पाईवेयर) के जरिए इस जासूसी को अंजाम दिया जाता है. जंहा व्हाट्सएप ने अपने एक बयान में कहा है कि व्हाट्सएप एप के कॉलिंग फीचर में एक कमी होने के कारण यह जासूसी की गई तो अब सवाल यह है कि आपके फोन में जासूसी वाले एप कैसे आ जाते है.
आखिर क्या है स्पाईवेयर और उसके खतरे? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिगासस एक स्पाईवेयर है जो चुपके से किसी भी डिवाइस की जासूसी कर रहा है. जंहा पिगासस जैसे स्पाईवेयर यूजर्स की जानकारी के बिना उनके फोन में मौजूद रहते हैं और फोन में मौजूद गोपनीय जानकारी को हैकर्स तक आसानी से जा सकते हैं. जिससे आपके फोन में स्पाईवेयर है या नहीं इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है. जंहा व्हाट्सएप वाले मुद्दे को ही देखें तो इसमें किसी को भनक तक नहीं थी कि उनकी जासूसी की जा रही थी. इसकी जानकारी उन्हें तब हुई जब व्हाट्सएप ने खुद कहा है.
फोन में कैसे होती है स्पाईवेयर की एंट्री? ऐसे तो यह बात आम है कि किसी डिवाइस में स्पाईवेयर या मैलवेयर या जासूसी वाले सॉफ्टवेयर/एप को एक लिंक के जरिए इंस्टॉल किया गया. कई बार ये एप किसी थर्ड पार्टी एप के जरिए आते हैं. हम बता दें कि जब भी आप किसी एप को फोन में इंस्टॉल करते हैं तो वह यूजर्स से लाइसेंस देने के लिए एग्री बटन पर क्लिक करवाता है. एग्री पर क्लिक नहीं करने पर ये एप इंस्टॉल नहीं होगा. एग्री पर क्लिक करने के साथ ही इन एप को आप कैमरा, माइक्रोफोन, मैसेज जैसे कई सारे एप्स का एक्सेस दे देते हैं. इसके बाद ही इन थर्ड पार्टी एप के जरिए आपके फोन में स्पाईवेयर आते है. इसके अलावा स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर गेमिंग और पॉर्न साइट के जरिए आपके फोन में आ जाता है.
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