नई दिल्ली : 1988 के बाद से हर साल पूरे विश्व में 1 दिसंबर को 'विश्व एड्स दिवस'मनाया जाता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि हर साल इस दिन विश्व एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है ? इस दिवस का उद्देश्य लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होता है. आइए विस्तार जानते है आखिर क्यों हर साल विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है और इस दिन लोगों को क्या-क्या जानकारी प्रदान की जाती है.
इस दिन पूरे विश्व में अलग-अलग स्तर पर विभिन्न कार्क्रमों का आयोजन किया जाता है. विश्व एड्स दिवस के अंतर्गत लोगों को एड्स के लक्षणों, बचाव, उपचार और कारणों के बारे में बताया जाता है. आपको बता दें कि एड्स, ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के संक्रमण से होने वाली एक जानलेवा बीमारी है. इससे मानव जितना दूर रहे उतना उसके स्वास्थय के लिए बेहतर होता है. एड्स दुनिया भर में महामारी की तरह फैला हुआ है, जिससे पुरुष और महिलाएं ही नहीं बच्चे भी बड़ी मात्र में प्रभावित है.
बता दें कि यह मानव शरीर के तरल पदार्थों जैसे संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, स्तन के दूध आदि में पाया जाता है. एच.आई.वी. पाजिटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी आपको एड्स हो सकता है. यह बीमारी कब हंसते-खेलते आदमी को नर्क में धकेल दे यह कोई नहीं जानता है. बता दें कि एक स्वस्थ व्यक्ति अगर एच.आई.वी पॉजिटिव के संपर्क में आता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है. बुखार, सर्दी-जुकाम, थकान आदि से अगर आप लगातार घिरे हुए रहते हैं यह भी एड्स के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. असुरक्षित यौन संबंध बनाने, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने या फिर दूषित सुई से इंजेक्शन लगाने आदि से भी यह तेजी से फैलती है.
पिछले 4 सालों में खतरनाक स्तर पर पहुंचा एड्स रोगियों का आंकड़ा, पर नहीं खुला एक भी इलाज सेंटर