-करियर का चुनाव करते समय विधार्थी अपने आपको दोराहों पर खड़ा पाता हैं क्योकिं आज के समय में विद्यार्थियों के पास अपना करियर चुनने के बहुत अधिक विकल्प उपस्थित होते हैं. एक तो विकल्पों की अधिकता तथा दूसरा पेरेंट्स का ज्ञात और अज्ञात दबाब काफी हद तक इस भ्रम की स्थिति को पैदा करता हैं. जबरदस्ती में चुने हुए करियर से कभी भी सफलता नहीं मिलती ऐसे चुनाव से मात्र मानसिक तनाव और जीवन बर्बाद होता है क्योंकि ऐसे लोगों को ना तो उस विषय में जानकारी होती है या ना तो वह सही तरीके से उस कार्य को कर सकते हैं.
-सबसे मुख्य बात सही करियर को चुनने समय यह है कि आप अपने करियर से कितने खुश हैं. करियर वही सही है जो दिल को सुकून दे. आपके लिए सही करियर का चुनाव आप और आपका ज्ञान स्वयं है. आपको वही करियर सूट करेगा जिसके विषय में आपको ज्ञान है और जिस क्षेत्र में आपको ज्यादा रूचि है.
-इसके साथ ही पेरेंट्स को समझना चाहिए कि दूसरों को देखकर प्रेरणा लेना बहुत अच्छी बात हैं लेकिन उन प्रेरित इच्छाओं को अपने बच्चों पर लाद देना बहुत अनुचित होता हैं. जो उपलब्धियां पेरेंट्स स्वयं प्राप्त नहीं कर पाते हैं वो अपनी इन अधूरी उपलब्धियों तथा इच्छाओं को अपने बच्चों के माध्यम से पूर्ण करने का प्रयास करते हैं.
-बच्चों के सफल तथा असफल होने में पेरेंट्स का ही सबसे प्रमुख योगदान होता हैं. जो पेरेंट्स अपने बच्चों के विचारों के साथ समन्वय बनाकर समझदारी भरा निर्णय लेते हैं उनके बच्चों के असफल होनें की संभावना बहुत कम होती हैं और जहाँ पर बच्चों के विचारों को अनसुना करके निर्णय लिए जाते हैं वहां असफल होने की संभावना प्रबल होती हैं.
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