इस जीवन में हर इंसान को बहुत सारी टेंशन होती है. किसी को करियर की टेंशन,किसी को पढ़ाई की, किसी को शादी की तो किसी को घर चलाने की टेंशन होती है. टेंशन और डिप्रेशन में काफी फर्क है और डिप्रेशन बहुत घातक हो सकता है. किसी करीबी की मौत, रिलेशनशिप में हुई समस्याएं, असफलता जैसी चीजों को इंसान जल्दी भुला नहीं पाता और डिप्रेशन में चला जाता है. ऐसे में नींद का न आना, खुद को नुक्सान पहुंचाने के ख़याल आना, अकेले रहना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. इंसान को डिप्रेशन से निकालना बहुत जरूरी होता है क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया बहुत ज्यादा घातक हो सकता है.
डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है. डिप्रेशन में व्यक्ति उदास रहते हैं, पसंद वाली गतिविधियों में रुचि खो देते हैं, ठीक से सो नहीं पाते, ठीक से खा नहीं पाते, और थके-थके रहते हैं. उन्हें ध्यान लगाने में दिक्कत होती है. सोच नकारात्मक हो जाती है. किसी भी काम में मजा नहीं आता. वे खुद को दोषी समझते हैं. ज्यादातर लोग डिप्रेशन को समझ नहीं पाते है या फिर इसका इलाज नहीं करवाते हैं.
डिप्रेशन में मनोचिकित्सक से मिलना बहुत कारगर साबित होता है. वो कॉउंसलिंग से आपके डिप्रेशन के कारणों के बारे में जानते हैं और उसके बाद इससे बाहर निकलने का रास्ता बताते हैं. कुछ दवाईयों द्वारा भी पीड़ितों को काफी आराम मिलता है. सबसे बेहतर तरीका है कि अगर आप डिप्रेशन में है तो आपको खुद इससे बाहर निकलने की कोशिश करनी होगी। दर्द, असफलता, ज़िन्दगी और मौत से सामना सबका होता है तो आप अपने अतीत से बाहर निकलकर एक खुशनुमा ज़िन्दगी बिताने की कोशिश तो कीजिये, बाकी सबकुछ खुद ब खुद ठीक हो जाएगा।
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