दीपावली, भारत का सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्योहार है। यह महापर्व पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। दिवाली का त्योहार रोशनी का प्रतीक है, जिसे मनाने के लिए लोग अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों को दीपों, मोमबत्तियों, और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं। इसके साथ ही, आतिशबाजी का आनंद लिया जाता है, जिससे आसमान रोशन हो उठता है। इस महापर्व का एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली के दिन विशेष रूप से धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है। हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। मान्यता है कि इस दिन घरों में पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास करती हैं। इसके अतिरिक्त, इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है, जो समृद्धि और ज्ञान के देवता हैं। लोग मानते हैं कि गणेश जी की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
दिवाली की पूजा विधि
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने की सरल विधि निम्नलिखित है:
पूजा स्थल की सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। मां लक्ष्मी स्वच्छ और पवित्र स्थान पर निवास करती हैं, इसलिए यह आवश्यक है।
स्थल सजाना: पूजा स्थल को सजाने के लिए एक छोटा मंडप बना सकते हैं या चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। चौकी पर सफेद या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
अर्पित सामग्री: चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। नारियल, मिठाई, लाल या सफेद फूल अर्पित करें। इसके अलावा धूप, कपूर, और घी का दीपक जलाएं।
पूजन सामग्री: पूजा में अक्षत (चावल), रोली, कुमकुम, गंगाजल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) और पान के पत्ते अर्पित करें।
ध्यान और आवाहन: अब पूजा स्थल के सामने बैठकर ध्यान लगाएं और मन को शांत करें। मां लक्ष्मी का ध्यान कर उनका आवाहन करें।
जल और स्नान: लक्ष्मी जी को जल अर्पित करें और फिर पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
तिलक और भोग: मां को रोली और अक्षत से तिलक करें, फिर फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। नारियल और पान के पत्ते भी अर्पित करें।
मंत्र जाप: पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना न भूलें। जैसे:
“ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः”
“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः”
इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें।
आरती: पूजा के अंत में मां लक्ष्मी की आरती करें। आरती के समय कपूर जलाएं और आरती गाएं। सभी सदस्यों को आरती में शामिल करें, फिर प्रसाद ग्रहण करें और सभी में बांटें।
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