हर साल सावन माह में नागपंचमी का विशेष त्यौहार भी आता है। नागों को पंचमी तिथि का स्वामी कहते हैं और सावन माह की शुक्ल पंचमी को प्रति वर्ष यह त्यौहार पूरा देश धूम-धाम से मनाता है। पूरा देश इस साल नाग पंचमी का त्यौहार शनिवार, 25 जुलाई को मनाने जा रहा है। जहां एक ओर पूरी दुनिया सांपों को जानलेवा जीवों के रूप में देखती है, तो वहीं भारत नाग का आदर करता है और विशेष सम्मान देने के साथ ही देवता के रूप में उनकी पूजा भी करता है। हमारे देश को त्यौहारों का देश भी कहते हैं। हर दिन यहां किसी न किसी राज्य, जिले या कस्बे में कोई न कोई त्यौहार अवश्य मनाया जाता है। नाग पंचमी के त्यौहार में अब बहुत कम दिन बचे हैं और आज हम आपको बताने जा रहें हैं कि आख़िर नागों की उत्पत्ति कैसे हुई ?
जानिए नागों की उत्पत्ति के पीछे का रहस्य
शिव पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सभी प्रकार के सांपों की उत्पत्ति ऋषि कश्यप की पत्नि कद्रू की कोख से हुई थी और साथ ही ऐसा भी माना जाता हैं कि कद्रू द्वारा हजारों पुत्रों को जन्म दिया गया था। जिनमें अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख, पिंगला और कुलिक नाग का भी जन्म हुआ। नागों की माता कद्रू को प्रजापति दक्ष की पुत्री कहा जाता है ।
हमारे देश में जिन 5 नागों को श्रेष्ठ मानते हैं, उनमें शेषनाग, वासुकी, तक्षक, कार्कोटक और पिंगला शामिल है। इनमें वासुकि नाग वहीं है, जिन्होंने बाद में भगवान शिव के गले में विराजित होना स्वीकार किया। सभी नागों में श्रेष्ठ शेषनाग और अनंत को ही नागों का राजा कहते हैं। वहीं शेषनाग के बाद वासुकी, तक्षक और पिंगला का नाम लिया जाता है।
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