नई दिल्ली: 2000 रुपए के नोटों का चलन से बाहर होना और इसके वापस लिए जाने के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ‘भारतीय स्टेट बैंक (SBI)’ के रिसर्च में ये बात सामने आई है। SBI ग्रुप के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने इस रिसर्च को प्रकाशित किया है। दरअसल, SBI का मानना है कि इससे बैंक डिपॉजिट बढ़ेंगे और कर्ज के रिपेमेंट में भी तेजी आएगी। साथ ही सामने आया है कि इससे खपत यानि कंजम्प्शन में भी तेजी आएगी।
Rs 2000 notes withdrawal to boost deposits, consumption, among other parameters, argues SBI Research
— ANI Digital (@ani_digital) June 19, 2023
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SBI की रिसर्च में ये भी सामने आया है कि ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)’ की डिजिटल करेंसी को भी इस फैसले से ताकत मिलेगी। इन सबसे बड़ी बात ये है कि भारत के सकल घरेलु उत्पाद (GDP) के विकास में भी इस फैसले का योगदान होगा। इसे एक सही वक़्त पर किया गया स्ट्राइक करार देते हुए स्टेट बैंक ने कहा है कि बैंकिंग सिस्टम डिपॉजिट की समस्या का सामना कर रहा था, मगर सही वक़्त पर इस फैसले ने ‘Sustainability’ को मजबूत कर दिया है। SBI का मानना है कि इस मामले (कैश डिपाजिट के) में युद्ध जैसी समस्या उत्पन्न हो चुकी थी। लेकिन, अब इससे बैंक के पास बड़ी तादाद में कैश जमा होगा, जिससे अन्य सेक्टरों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
बता दें कि बैंकों के लिए C/D अनुपात (कैश-डिपॉजिट रेश्यो) को कंट्रोल में रखना एक बड़ी चुनौती होती है। इससे ‘कंजम्प्शन डिमांड’ में भी 55000 करोड़ रुपए का इजाफा होगी। कंजम्प्शन इसीलिए बढ़ेगा, क्योंकि ये नोटेबंदी नहीं है और 2000 के नोट एक समयसीमा तक उपयोग किए जाते रहेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि लोग गोल्ड से लेकर अन्य तरह के निवेश में अधिक रुपए खर्च करेंगे। साथ ही एसी-फ्रिज वगैरह खरीदने में वही खर्च करेंगे, जिससे बाजार में हलचल बढ़ेगी और खरीदारी भी बढ़ेगी। पेट्रोल पम्पों पर 2000 के नोट बड़ी तादाद में आ रहे हैं। लोग ऑनलाइन सामान मँगा रहे हैं। यहाँ तक कि, फ़ूड डिलीवरी के मामले में 75 फीसद लोग ‘कैश ऑन डिलीवरी (COD)’ से ऑर्डर कर रहे हैं। साथ ही मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं में दान भी दिए जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 1.8 लाख करोड़ रुपए बैंकों में वापस लौट चुके हैं।
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