भोपाल: मध्य प्रदेश ह्युमन राइट कमीशन ने प्रदेश की टूरिज्म एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के बलात्कारी पर दिए गए बयान पर संज्ञान लिया है। दरअसल मंत्री ने बलात्कार के अपराधी की सजा को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि, ऐसे लोगों को चौराहे पर फांसी दे देना चाहिए तथा उनका अंतिम संस्कार भी नहीं करना चाहिए, उनकी लाश को चील-कौवों के खाने के लिए छोड़ देना चाहिए। इस घटना पर बयान देते हुए मंत्री उषा ठाकुर ने यह भी बोला था कि, ऐसे अपराधियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता है, इस मामले यदि ह्यूमन राइट्स कमीशन बीच में आता है तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
ह्युमन राइट्स कमीशन ने प्रदेश के मुख्य सचिव से भी 15 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा है। मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने कहा कि, इस मामले पर जवाब प्रदेश सरकार के किसी जिम्मेदार अफसर द्वारा ही दिया जाना चाहिए। ममतानी ने यह भी कहा कि, सरकार में एक अहम पद पर बैठ कर इस प्रकार का बयान दिया है, यह बयान संविधान की मूल भावना एवं मानवाधिकार आयोग के खिलाफ है।
आयोग के सदस्य ने यह भी कहा कि, मंत्री उषा ठाकुर की टिप्पणी अनुचित एवं आपत्तिजनक थी। भारतीय संविधान के अनु्च्छेद-21 और सर्वोच्च न्यायालय की मिसाल देते हुए कमीशन ने कहा कि, सभी के पास मूल अधिकार हैं। कैदियों के पास भी उनके मूल अधिकार हैं।
कबड्डी खिलाड़ी की हुई दर्दनाक मौत, एक महीने में हुई तीसरी मौत
'भ्रष्टाचार के साथियों को बीच रास्ते छोड़ा', CM हेमंत से ED की पूछताछ पर भाजपा ने बोला हमला