'इंसानों के उग आएंगे पंख...', बड़े साइंटिस्ट का चौंकाने वाला दावा

'इंसानों के उग आएंगे पंख...', बड़े साइंटिस्ट का चौंकाने वाला दावा
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ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टिम कूलसन, जो रॉयल सोसाइटी के सम्मानित प्राणी विज्ञानी और जीवविज्ञानी हैं, का मानना है कि परमाणु युद्ध मानवता के विकास में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। उनका कहना है कि ऐसा युद्ध न सिर्फ पर्यावरण में भारी बदलाव लाएगा बल्कि प्राकृतिक चयन और आनुवंशिक परिवर्तनों के माध्यम से मानव जाति को पूरी तरह बदल सकता है।

परमाणु युद्ध और मानवता के विकास पर प्रभाव
प्रोफेसर कूलसन के अनुसार, यदि परमाणु युद्ध होता है, तो वह वैश्विक स्तर पर समाज को तोड़ देगा तथा ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न करेगा जहां मानवता के सामने जीवित रहने का संकट होगा। इसके परिणामस्वरूप, प्राकृतिक चयन मानव जीनोम में परिवर्तन लाएगा, जिससे इंसानों के शारीरिक एवं मानसिक गुण नाटकीय रूप से बदल सकते हैं। ये परिवर्तन मानवता को ऐसी क्षमताओं के साथ सशक्त कर सकते हैं जो आज की कल्पना से परे हैं।

शारीरिक और मानसिक क्षमता में वृद्धि
प्रोफेसर कूलसन का मानना है कि परमाणु युद्ध के पश्चात् जन्म लेने वाले इंसानों में कई नए गुण विकसित हो सकते हैं। इनमें शारीरिक रूप से अधिक ताकतवर, तेजी से दौड़ने और मुश्किल परिस्थितियों में लंबे समय तक टिके रहने की क्षमता शामिल हो सकती है। इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक चयन के कारण उनकी बुद्धिमत्ता और समस्या-समाधान की क्षमता भी काफी विकसित हो सकती है।
हाइपर इंटेलिजेंस: कठिन वातावरण और अत्यधिक चुनौतियों का सामना करने के लिए इंसानों में "हाइपर इंटेलिजेंस" का विकास हो सकता है। इसका मतलब होगा कि मनुष्य तेजी से सीखने, जटिल समस्याओं को हल करने और नई तकनीकें विकसित करने में सक्षम हो जाएंगे।
शारीरिक रूपांतरण: कठोर परिस्थितियों का सामना करने के लिए मानव शरीर का आकार छोटा हो सकता है। खतरों से बचने के लिए इंसानों में चमगादड़ जैसे पंख उगने की संभावना भी जताई गई है।

समय के साथ मानव रूप में बदलाव
कूलसन का कहना है कि मानव शरीर में ऐसे बड़े परिवर्तन रातोंरात नहीं होंगे। इन परिवर्तनों के लिए लाखों साल लग सकते हैं। हालांकि, उनका तर्क है कि तीसरे विश्व युद्ध जैसी घटनाएं इस विकासवादी प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं।

उन्होंने अपनी पुस्तक 'द यूनिवर्सल हिस्ट्री ऑफ अस: ए 13.8-बिलियन-ईयर टेल फ्रॉम द बिग बैंग टू यू' में मानवता के अब तक के विकास का विस्तृत वर्णन किया है। उनका मानना है कि जैसे प्राचीन काल के सरल जीव आहिस्ता-आहिस्ता विकसित होकर जटिल प्रजातियों में परिवर्तित हुए, वैसे ही मानव भी भविष्य में अलग दिखने और अलग गुणों के साथ विकसित हो सकते हैं।

आनुवांशिक बदलाव और पर्यावरणीय चुनौतियां
प्रोफेसर कूलसन ने बताया कि परमाणु युद्ध के बाद की पर्यावरणीय आपदाएं मानव विकास को नई दिशा दे सकती हैं। ऐसे संकट, जैसे भोजन और पानी की कमी, आवास का विनाश, और बढ़ते रोग, मानवता को बदलने वाले कारकों के रूप में काम कर सकते हैं।
प्राकृतिक चयन की भूमिका: कूलसन के अनुसार, प्राकृतिक चयन उन लक्षणों का समर्थन करेगा जो जीवित रहने और प्रजनन के लिए सबसे अधिक सहायक होंगे।
कठिन परिस्थितियों का प्रभाव: कठोर परिस्थितियां इंसानों के शरीर को ऐसे रूप में ढाल सकती हैं जो कठोर जलवायु, सीमित संसाधनों और नए खतरों से निपटने में सक्षम हों।

सुपरह्यूमन या पतन: दो संभावनाएं
कूलसन का कहना है कि भविष्य में मनुष्यों का विकास न केवल ताकत, बुद्धिमत्ता एवं विशेष क्षमताओं की ओर जा सकता है, बल्कि इसका विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।
महामानव बनने की संभावना: उन्होंने तर्क दिया कि यदि सभ्यता का पतन होता है, तो बुद्धिमत्ता, चालाकी और गति जैसे गुण अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे। इसका मतलब यह होगा कि केवल सबसे मजबूत और सबसे बुद्धिमान लोग जीवित रहेंगे।
कमजोरी की ओर विकास: इसके विपरीत, यह भी संभव है कि मनुष्य अधिक आलसी और कम बुद्धिमान बन जाएं। कूलसन ने चेतावनी दी कि आधुनिक सभ्यता की सुख-सुविधाएं और आराम इंसानों को कमजोर बना सकते हैं।

सभ्यता का पतन और नई शुरुआत
कूलसन ने कहा कि इतिहास में कोई भी सभ्यता स्थायी नहीं रही है। प्राचीन मिस्र, माया सभ्यता और अन्य सभ्यताओं का पतन यह दर्शाता है कि आधुनिक सभ्यता भी अजेय नहीं है। यदि वर्तमान सभ्यता का अंत होता है, तो यह मानवता के लिए एक नई शुरुआत का अवसर हो सकता है, जहां विकास नई दिशा में बढ़ेगा।

पर्यावरण और मानवता का विकास
कूलसन का मानना है कि हम अपने पर्यावरण को जिस प्रकार बदल रहे हैं, उसका हमारी प्रजाति के विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनुष्यों को पर्यावरणीय परिवर्तनों और उनके परिणामस्वरूप होने वाले विकास को समझने की आवश्यकता है।

कूलसन ने कहा कि बीमारी, भुखमरी एवं प्राकृतिक आपदाओं से बचने वाले लोग भविष्य की मानवता के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन परिस्थितियों में बुद्धिमत्ता, चालाकी और शारीरिक ताकत जैसे गुण प्राथमिक बन जाएंगे। हालांकि, यह भी संभव है कि इंसान सुपरहीरो बनने के बजाय कमजोर एवं कम बुद्धिमान बन जाएं।

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