'मैं ऐसे राज्य से हूं जहां हिंदी पढ़ना गुनाह हैं...', संसद में बोलीं निर्मला सीतारमण

'मैं ऐसे राज्य से हूं जहां हिंदी पढ़ना गुनाह हैं...', संसद में बोलीं निर्मला सीतारमण
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नई दिल्ली: बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर लोकसभा में हुई गरमागरम चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंदी भाषा को लेकर अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए तथा विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। इस चर्चा के चलते उन्होंने कहा कि हिंदी सीखने की इच्छा जताने पर तमिलनाडु की सड़कों पर उनका मजाक उड़ाया गया।

वित्त मंत्री ने कहा, "विपक्ष हिंदी के खिलाफ है। हिंदी सीखने की इच्छा रखने पर मुझे तमिलनाडु की सड़कों पर मजाक का सामना करना पड़ा।" यह बयान उन्होंने बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पर हो रही चर्चा के जवाब में दिया। वित्त मंत्री ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य राजीव रॉय द्वारा उन्हें भेजे गए एक पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि पत्र में हिंदी में कुछ बातें लिखी गई थीं। जब वित्त मंत्री इस पत्र पर टिप्पणी कर रही थीं, तो एक शब्द पर अटक जाने पर उन्होंने कहा, "मेरी हिंदी इतनी अच्छी नहीं है। मैं बोलचाल की हिंदी में कुछ शब्द बोल पाती हूं। मुझे हिंदी की शब्दावली इतनी समझ में आती है कि मैं जानती हूं कि क्या अपशब्द हैं और क्या नहीं।"

उन्होंने यह भी बताया कि वह एक ऐसे राज्य से आती हैं जहां हिंदी को पढ़ना एक गुनाह माना जाता था और इसलिए उन्हें बचपन में हिंदी पढ़ने से रोका गया। यह बयान उन्होंने अपनी निजी अनुभवों को साझा करते हुए दिया, जो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था। चर्चा के चलते जब तमिलनाडु के कुछ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के सदस्य वित्त मंत्री के बयान का विरोध कर रहे थे, तो उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, "जब मैं कहती हूं कि तमिलनाडु में माहौल हिंदी सीखने के लिए अनुकूल नहीं था, तो यह मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से कह रही हूं। यह मेरा अपना अनुभव है। जब मैंने स्कूल के बाद हिंदी सीखने की कोशिश की, तो तमिलनाडु की सड़कों पर मेरा मजाक उड़ाया गया। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव था, और मैं इसे साझा कर रही हूं।"

निर्मला सीतारमण ने पीएम नरेंद्र मोदी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "मुझे एक ऐसा प्रधानमंत्री बताइए जिसने तमिल को संयुक्त राष्ट्र में प्रमुखता दी हो... नरेंद्र मोदी। मुझे एक ऐसा प्रधानमंत्री बताइए जो तमिल को बार-बार उद्धृत करता हो क्योंकि वह उस भाषा का सम्मान करते हैं।" उन्होंने यह भी कहा, "पीएम मोदी ने हर राज्य को अपनी भाषा रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। प्रधानमंत्री ने तमिल समेत सभी स्थानीय भाषाओं का सम्मान बढ़ाया है।" निर्मला सीतारमण का कहना था कि पीएम मोदी ने अपनी सरकार के दौरान भारतीय भाषाओं के सम्मान को बढ़ावा दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल तमिल भाषा का सम्मान किया है, बल्कि सभी राज्यों की स्थानीय भाषाओं के प्रति सम्मान और प्रोत्साहन की दिशा में कई कदम उठाए हैं।

बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक के संदर्भ में वित्त मंत्री ने भारत के बैंकिंग सिस्टम के सुधारों तथा उसके विकास की दिशा में किए गए कदमों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली अब पेशेवर हाथों में है तथा यह दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बैंक शाखाएं उपलब्ध हैं और बैंकों की कुल शाखाओं की संख्या अब 1,60,000 से अधिक हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि अब प्रत्येक पांच किलोमीटर के भीतर कोई न कोई बैंक शाखा, एटीएम या बैंक मित्र मौजूद हैं, जो ग्रामीण इलाकों में बैंकों की पहुंच को सुनिश्चित करते हैं।

निर्मला सीतारमण ने यह भी बताया कि 2023-24 में भारतीय बैंकों ने सबसे अधिक मुनाफा दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब मुनाफे में हैं तथा इस वर्ष बैंकिंग प्रणाली के समग्र प्रदर्शन में सुधार देखा गया है। इसके साथ ही ग्रॉस एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) घटकर 7.97 प्रतिशत पर आ गया है, जो भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

निर्मला सीतारमण ने यह भी बताया कि 2024 के बजट में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए पांच अलग-अलग योजनाएं घोषित की गई थीं। उन्होंने कहा, "प्लांट और मशीनरी लोन एमएसएमई को पहले नहीं दिया जाता था, किन्तु अब हम उन्हें यह लोन देने का काम कर रहे हैं। हम एमएसएमई मंत्री जीतनराम मांझी के साथ मिलकर क्लस्टर टू क्लस्टर जा रहे हैं तथा इन योजनाओं के लाभ के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं।"

तमिलनाडु में हिंदी लागू किए जाने के सवाल पर DMK सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "ऐसा कभी नहीं हुआ कि तमिलनाडु में किसी को किसी भी भाषा को सीखने से रोका गया हो। हम सिर्फ हिंदी को थोपे जाने का विरोध करते थे। तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन हुए थे तथा इस पर काफी संघर्ष हुआ था।" उन्होंने यह भी कहा कि आज केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों में तमिल भाषा सीखना लगभग असंभव हो गया है, जो तमिलनाडु के लोगों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

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