'मैं न्यायाधीश नहीं हूं मैं सभापति हूं', आखिर क्यों लोकसभा में ऐसा बोले स्पीकर ओम बिरला?

'मैं न्यायाधीश नहीं हूं मैं सभापति हूं', आखिर क्यों लोकसभा में ऐसा बोले स्पीकर ओम बिरला?
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नई दिल्ली: शुक्रवार को महुआ मोइत्रा के 'कैश फॉर क्वेरी' (पैसे के बदले सवाल) मामले में संसद की एथिक्स कमिटी ने अपनी जांच रिपोर्ट लोकसभा में पेश कर दी। एथिक्स कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसदीय आचरण के उल्लंघन का दोषी माना तथा स्पीकर से उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की। स्पीकर ओम बिड़ला ने इस प्रस्ताव पर सदन में मतदान करवाया। सदन के सदस्यों का बहुमत वोट महुआ के खिलाफ रहा तथा इस प्रकार उनकी सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव लोकसभा से पास हो गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस रिपोर्ट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया। विपक्ष की तरफ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चर्चा का आरम्भ किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में एथिक्स कमिटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मूलभूत सिद्धांतों का दमन करती है।

मनीष तिवारी ने कहा कि कथित 'आरोपी' को अपना बयान भी पूरा नहीं देने दिया गया। यह किस तरह की प्रक्रिया है? जिसने आरोप लगाए हैं, महुआ मोइत्रा को उसका क्रॉस-एग्जामिनेशन करने का हक़ प्राप्त होना चाहिए था। सभी व्हिप वापस लिए जाने चाहिए। यह बड़ी विडंबना है कि 12 बजे रिपोर्ट रखी जाती है तथा 2 बजे उसकी बहस लगा दी जाती है। यह किस प्रकार की न्याय प्रक्रिया है। आज यह संसद नहीं है। हम जज और जूरी बनकर बैठे हैं। इस पर लोकसभा स्पीकर ने टोकते हुए कहा, 'मनीष जी आप यह डिबेट संसद में कर रहे हैं या कोर्ट में। यह संसद है अदालत नहीं। मैं न्यायाधीश नहीं हूं मैं सभापति हूं।' स्पीकर ने कहा कि हम इस मामले पर संवेदनशीलता से चर्चा कर रहे हैं। मैं प्रयास करता हूं कि किसी को निलंबित न करूं या किसी के खिलाफ कार्रवाई न करूं। मैं संसद की मर्यादा बनाए रखने का प्रयास करता हूं। यह हमारे लिए सर्वोपरि है।

TMC ने महुआ मोइत्रा को पार्टी की तरफ से बोलने का प्रस्ताव दिया। संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने 2005 के 'नकदी के बदले प्रश्न' मामले का हवाला देते हुए कहा, 'तब भी अनुरोध किया गया था कि 10 आरोपी सांसदों को बोलने की अनुमति दी जाए। तब तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि अपराधी सांसद पहले ही समिति के समक्ष अपनी बात रख चुके हैं। यह अनैतिक प्रश्न नहीं उठना चाहिए!' स्पीकर ओम बिरला ने कहा, 'मेरे पास पुराने मामले का भी रिकॉर्ड है। हमारे नियम वही हैं जिनका हवाला तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने दिया था'। 

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