हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन बुधवार (25 जुलाई) को मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (BRS) के नेता केटी रामा राव (KTR) के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। KTR ने रेड्डी के राजनीतिक अनुभव पर सवाल उठाए, जिस पर मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि वह कड़ी मेहनत और ज्ञान के कारण शीर्ष पद पर पहुंचे हैं, न कि अपने पिता के नाम का इस्तेमाल करके।
हम बाप-दादा का नाम लेकर राजनीति में नहीं आए हैं।
— Sachin Pandit (@SachinPanditBRJ) July 25, 2024
जमीन से शुरुआत की, कड़ी मेहनत की तब जाकर आज मुख्यमंत्री बना हूं।
: रेवंत रेड्डी, मुख्यमंत्री, तेलंगाना
ये कहीं राहुल गांधी पर हमला तो नहीं है ? pic.twitter.com/q0BXSRoEGs
तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे केटी रामा राव ने रेड्डी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह कभी मंत्री नहीं रहे और इसलिए विधानसभा की परंपराओं को नहीं जानते। पूर्व मंत्री की इस टिप्पणी पर पलटवार करते हुए सीएम रेड्डी ने कहा, "मेरे पिता ने मुझे सीट नहीं दी और न ही मुझे मंत्री बनाया, भले ही मैं अशिक्षित था।" देश पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी से आने वाले रेड्डी ने कहा कि, "मैंने जिला परिषद से लेकर सांसद बनने तक और आज मुख्यमंत्री के रूप में कड़ी मेहनत की है। यह सब मैंने कड़ी मेहनत, ज्ञान और अनुभव के साथ किया है। मैं अपने पिता या दादा के नाम का इस्तेमाल करके राजनीति में नहीं आया हूं।"
He destroyed Rahul Gandhi, Akhilesh Yadav and Tejashwi Yadav in just few seconds ???????? pic.twitter.com/j3sEmKDRWi
— desi mojito ???????? (@desimojito) July 25, 2024
विधानसभा में चर्चा के दौरान KTR ने मांग की कि राज्य सरकार को सदन में चर्चा किए जाने वाले विषयों के बारे में विपक्ष को पहले से ही सूचित करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को सदन की परंपराओं के बारे में पता नहीं है। मुख्यमंत्री ने केटीआर पर पलटवार करते हुए विपक्ष से आग्रह किया कि वह मंत्री के तौर पर किसी के राजनीतिक अनुभव पर सवाल उठाने के बजाय चर्चा में हिस्सा ले। हालाँकि, रेवंत रेड्डी के बयान को लेकर कुछ लोग राहुल गांधी पर भी निशाना लगा रहे हैं, जिनके परनाना, नानी, पिता प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उनकी माता भी एक बड़ी हस्ती हैं, जिन्होंने राहुल के लिए अमेठी और रायबरेली दोनों सीट छोड़ी थी। साथ ही सोशल मीडिया यूज़र्स इसे अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव से भी जोड़कर देख रहे हैं, जहाँ पार्टी पर एक ही वंश का कब्ज़ा रहता है।
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