नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन के अवसर पर देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का उद्देश्य पुराने औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाकर देश की न्याय व्यवस्था को अधिक प्रभावी और नागरिक अधिकारों के अनुकूल बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले कानूनों का मकसद अपराधियों को दंडित करने से ज्यादा निर्दोष लोगों को डराने वाला था। अब नए कानून नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने बताया कि ये कानून "सिटिजन फर्स्ट" के सिद्धांत पर आधारित हैं और न्याय तक पहुंच को सरल बनाएंगे। उन्होंने पुराने कानूनों की आलोचना करते हुए कहा कि वे अंग्रेजों के दमनकारी शासन को बनाए रखने के लिए बनाए गए थे और आजादी के बाद भी दशकों तक उनका इस्तेमाल होता रहा। मोदी ने कहा कि अब इन कानूनों को हटाकर भारत को उपनिवेशवादी मानसिकता से बाहर निकाला जा रहा है। हम हमेशा से सुनते आए कि कानून की नजर में सब बराबर होते हैं लेकिन व्याहवारिक सच्चाई कुछ और होती थी, अब हम बाहर निकल रहे हैं।
नए कानूनों में जीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता दी गई है, जिससे शिकायत दर्ज कराना आसान होगा। साथ ही पुराने कानूनों की वजह से जेल में बंद हजारों कैदियों को रिहा किया गया है। पीएम ने दिव्यांगों के लिए पुराने अपमानजनक शब्दों को हटाने और उन्हें सम्मानजनक अधिकार देने पर भी जोर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चंडीगढ़ तीनों कानूनों को पूरी तरह लागू करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। उन्होंने बताया कि इन कानूनों को तैयार करने के लिए 43 देशों के क्रिमिनल सिस्टम का अध्ययन किया गया।
नए कानूनों में संगठित अपराध और आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की गई है। महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं। पुलिस को 90 दिन के भीतर प्रगति रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा और एफआईआर पर तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा। प्रधानमंत्री ने इसे न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि ये कानून लोकतंत्र के सिद्धांतों को और मजबूत करेंगे।
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