पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा आर-पार के मूड में दिखाई दे रहे हैं। कुशवाहा ने अब अपने समर्थन में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को लामबंद करना आरम्भ कर दिया है। वे 19 और 20 फरवरी को राज्य की राजधानी पटना में शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं। उन्होंने नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने से खफा JDU नेताओं और कार्यकर्ताओं को पटना आने के लिए कहा है। वहीं, JDU में जारी घमासान के बीच अब सियासी पंडितों द्वारा पार्टी में दो फाड़ होने की अटकलें शुरू हो गई हैं।
सीएम नितीश पहले ही स्पष्ट कह चुके हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को जो मर्जी है वो करें, जहां जाना है जाएं। उन्हें कोई मतलब नहीं है। दूसरी तरफ, कुशवाहा भी इस बात पर अड़े हुए हैं कि वे अपना हिस्सा लिए बगैर JDU से नहीं जाने वाले हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच रस्साकशी का दौर आरम्भ हो गया है। हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान जब कुशवाहा से सवाल किया गया कि वे किस हिस्से की बात कर रहे हैं, तो उन्होंने 22 वर्ष पूर्व की एक घटना का जिक्र कर दिया। कुशवाह ने कहा कि वे नितीश कुमार से वही हिस्सा मांग रहे हैं, जो पटना के गांधी मैदान में 12 फरवरी 1994 को नीतीश कुमार ने लालू यादव से मांगा था।
उपेंद्र कुशवाहा कह चुके हैं कि JDU में उनके समाज (कुशवाहा) को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। बता दें कि, 2021 में कुशवाह की पार्टी रालोसपा के JDU में विलय के बाद उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। लेकिन उन्हें इस बोर्ड के सदस्य चुनने का अधिकार नहीं दिया गया, न हीं JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इसके मेंबर बनाए। इस वजह से बोर्ड का कोई औचित्य ही नहीं रह गया। MLC और राज्यसभा के विभिन्न चुनावों में भी प्रत्याशियों को लेकर कुशवाहा की बातें नहीं सुनी गईं।
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