मुंबई: महंत रामगिरी महाराज हाल ही में पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए अपने विवादित बयान के कारण विवादों में आ गए हैं। उन्होंने मुंबई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस्लाम विरोधी नहीं हैं। रामगिरी महाराज का कहना है कि वे जो भी कहते हैं, उसके लिए उन्हें संविधान द्वारा दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन प्राप्त है। उनका यह भी कहना है कि यदि उनकी टिप्पणियों से किसी व्यक्ति की भावनाएं आहत हुई हैं, तो यह उसकी व्यक्तिगत बात है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में जो भी निर्णय कोर्ट करेगी, वह उन्हें मान्य होगा।
यह विवाद तब बढ़ा जब कुछ समय पहले नासिक जिले के सिन्नर तालुका के पंचाले गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में रामगिरी महाराज ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के वैजापुर शहर में तनाव फैल गया। बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और रामगिरी महाराज के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में उनके खिलाफ लगभग 67 एफआईआर दर्ज की गई हैं। सरकार ने बंबई हाई कोर्ट को सूचित किया है कि साइबर क्राइम पुलिस उनकी अपमानजनक टिप्पणियों को ऑनलाइन माध्यमों से हटाने का काम कर रही है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में महंत रामगिरी महाराज के साथ पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह भी मौजूद थे। सत्यपाल सिंह ने रामगिरी महाराज का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने वही बातें कही हैं जो इस्लामी किताबों में लिखी हुई हैं। सिंह ने कहा कि इस्लाम के विद्वानों और मौलानाओं को इस पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए और यह बताना चाहिए कि क्या रामगिरी महाराज की टिप्पणियाँ तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। सत्यपाल सिंह का मानना है कि रामगिरी महाराज को जिहाद और अराजकता फैलाने के नाम पर निशाना बनाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ ताकतें चुनाव से पहले सक्रिय हो जाती हैं और वे इन ताकतों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम करेंगे।
सिंह ने आगे कहा कि सच बोलना अपराध नहीं है और रामगिरी महाराज की टिप्पणियाँ पहले से ही इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। उन्होंने इस्लामिक विद्वानों से अनुरोध किया कि वे तथ्यों को सार्वजनिक करें और स्पष्ट करें। रामगिरी महाराज अहमदनगर स्थित गौड़ा धाम के महंत हैं और उनका असली नाम सुरेश रामकृष्ण राणे है। वर्ष 2009 में उन्होंने दीक्षा ली थी और वे गंगागीर महाराज के शिष्य नारायणगिरि महाराज के शिष्य बने। विवादित बयान उन्होंने नासिक जिले के सिन्नर तालुका में एक हिंदू कार्यक्रम के दौरान दिया था, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजीत पवार ने भी इस स्थान का दौरा किया था।
विवाद के बीच रामगिरी महाराज का यह कहना कि वे अपनी टिप्पणियों के लिए माफी नहीं मांगेंगे और इसके बजाय संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों की दुहाई देना इस मुद्दे को और जटिल बना रहा है। वहीं, उनके समर्थक इसे सच के पक्ष में बोलने के रूप में देख रहे हैं, जबकि आलोचक इसे भावनाओं को भड़काने वाला बयान मानते हैं।
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