मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को महादेव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. ये भगवान महादेव के रौद्र रूप हैं. इनका सिर्फ बटुक भैरव अवतार ही सौम्य माना जाता है. प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है, उस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है. जो लोग काल भैरव जयंती के दिन व्रत रखते हैं तथा विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उनको रोग, दोष, अकाल मृत्यु के भय, तंत्र-मंत्र की बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है. आइये आपको बताते है काल भैरव की पूजा का मुहूर्त...
कब है काल भैरव जयंती 2023?
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस वर्ष 04 दिसंबर सोमवार को रात 09 बजकर 59 मिनट से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन 05 दिसंबर की देर रात 12 बजकर 37 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि तथा निशिता पूजा मुहूर्त के आधार पर काल भैरव जयंती 5 दिसंबर मंगलवार को मनाई जाएगी.
काल भैरव जयंती 2023 पूजा मुहूर्त
काल भैरव जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है. काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में करते हैं. काल भैरव जयंती के दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक है.
प्रीति योग में काल भैरव जयंती 2023
काल भैरव जयंती को प्रीति योग रात 10 बजकर 42 मिनट से अगले दिन रात 11 बजकर 30 मिनट तक है. काल भैरव की निशिता पूजा के समय प्रीति योग बना है. उससे पूर्व प्रातः से विष्कंभ योग रहेगा. काल भैरव जयंती पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा.