वाशिंगटन: विश्वभर में कोविड-19 के बढते प्रकोप के मध्य वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हुए हैं. दुनिया के वैज्ञानिक कोविड के मरीजों के उपचार के लिए दवा बनाने में जुटे हुए हैं. इस मध्य कुछ वैज्ञानिकों ने बाइपोलर डिसऑर्डर और बहरेपन समेत कई बीमारियों के उपरांत में उपयोग होने वाली एक दवा को कोविड-19 पर भी कारगर पाया है. एबसेलेन नाम की यह दवा संक्रमित कोशिका में कोविड-19 के प्रसार को रोकने में सक्षम पाया गया. जिससे इस बीमारी के उपचार का नया रास्ता खुल सकता है. विज्ञान पत्रिका साइंस एडवांसेज में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कोविड-19 के प्रसार में MPRO मॉलिक्यूल अहम किरदार निभाता है.
बायोलॉजिकल मॉलिक्यूल की मॉडलिंग करते हुए वैज्ञानिकों ने अभी शामिल हजारों दवाओं का इस पर प्रभाव जांचा. इसी प्रक्रिया में वैज्ञानिकों ने पाया कि एबसेलेन दवा इस मॉलिक्यूल को निशाना बनाकर कोविड-19 का प्रसार रोकने में सक्षम है. अन्य बीमारियों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली यह दवा कई क्लीनिकल ट्रायल में सुरक्षित पाई गई है.वैज्ञानिकों ने बताया कि अध्ययन के नतीजे 2 तरह से लाभदायक हैं. जिससे एक ओर जहां एबसेलेन दवा को नए रूप में उपयोग करने का रास्ता तैयार होगा, वहीं इससे कोविड-19 की एक ऐसी कड़ी की भी पहचान होने लगे है, जिसे निशाना बनाते हुए संक्रमण से निपटने के नए तरीके भी बढ़ोतरी किए जा सकते हैं.
LUPIN ने भारत में लॉन्च की कोरोना की दवा: दवा निर्माता कंपनी ल्यूपिन ने भारत में हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों के इलाज़ के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिराविर लॉन्च करने का एलान किया गया है. कोविहॉल्ट नाम से जारी इस दवा की एक टैबलेट की मूल्य भारत में 49 रुपये रखी जाने वाली है.
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